उज्बेकिस्तान जहाँ बाबर का जन्म हुआ, एक ऐसा कबीलाई देश जहाँ की समाज व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, राज्य व्यवस्था इस्लाम के आगमन की एक सदी के भीतर ही ध्वस्त हो चुकी थीं। उज्बेकिस्तान का पूरा क्षेत्र से काफिरों का नरसंहार हुआ और उज्बेकिस्तान इस्लाम के अलग-अलग कबीलों में बंट गया।
भारत-चीन का यूरोप से व्यापार का मार्ग उज्बेकिस्तान के कई नगरों से होकर जाता था। व्यापारिक मार्गों पर इन कबीलों द्वारा भारत, चीन, यूरोप आदि के व्यापारियों को लूटना, उनसे धन उगाही करना आम था। एक दूसरे कबीले पर हमला करना, लूटपाट और रक्त बहाना इनका रोज का काम था। इस कारण ये देश सदियों-सदियों तक उजड़ा ही रहा। जहाँ भारत की तरह न तो कोई शिल्पकला से सम्पन्न भवन मिलते हैं और न गौरव करने योग्य कोई और अन्य रचना। इस कारण मध्यकाल में इन कबीलों के अंदर न समाज व्यवस्था थी, न राज्य व्यवस्था, न शिक्षा व्यवस्था और ना ही नैतिकता।
कबीलाई लूट-पाट हिंसा और बलात्कार से उज्बेकिस्तान त्रस्त था, कई कबीले लूटपाट के लिए दूर-दूर तक जाते थे। उन्हीं लुटेरों में से एक था बाबर। इन लुटेरों के लिए "भारत" एक सपने जैसा था। चूंकि भारत सोने की चिड़िया के रूप में संसार में प्रसिद्ध था। बाबर उज्बेकिस्तान के एक कबीले लुटेरों के साथ 1502 में चला और 1504 में अफगानिस्तान के पठानों को हराकर काबुल पर कब्जा किया, पर उसका लक्ष्य भारत था।
मीनार |
1519 से 1525 तक 6 बार आक्रमण किया पर करारी हार पाकर वापस लौट गया था। 1526 में बाबर ने भारत पर सफल आक्रमण पानीपत में किया था। इस जीत का कारण तोपें थी! 1526 में भारत आया और 1530 में मर गया। वो इन चार साल तक मंदिर तोडने, लूटने और काफ़िर स्त्रियों के बलात्कार जैसी क्रूरता करता रहा।
भारत में वामपंथी, जेहादी इतिहासकारों ने मुगलों को महान वास्तकला का निर्माता घोषित किया। पर खुद बाबर के देश में धरोहरों के नाम पर यहॉ 1805 में पहली बार ये मिट्टी गारे ईंट से चार मिनार मस्जिद बनाई। उसके पहले सिर्फ मिट्टी के ही घर, किले और मस्जिदें बनती थी। जिसके अपने देश में मिट्टी से बने घर हों, वह भारत में आकर संगमरमर और लाल पत्थर की इमारतें कहॉ से बनवा देगा? मुगलिया धरोहरों के नाम पर जो कुछ है, वो सब सनातनियों की धरोहरों पर कब्जा मात्र है।
"उज्बेकिस्तान" में शिल्पकला का कोई ग्रंथ नहीं मिलता, न कोई निर्माण। पढ़ाये गए झूठे इतिहास का प्रमाण है कि जब उज्बेकिस्तान में मुगलों के पुरखे तैमूर को अपना मकबरा बनवाने के लिए भारत से कारीगरों को बंदी बनाकर ले गए थे। क्योंकि वहां कोई वास्तुकला जानता ही नहीं था। तैमूर का यह मकबरा आज भी 'सूर सादूल' अर्थात 'सूर्य शार्दूल' कहलाता है। और विडंबना देखिये उसके अनपढ जाहिल बर्बर वंशज भारत में ताजमहल के निर्माता घोषित हो जाते हैं।
मुस्लिम आक्रांताओं ने केवल भारत में धरोहरों का विध्वंस और यहाँ के लोगों का नरसंहार किया। आपको भारत में लगभग सभी राज्यों में ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे जहां पर टूटे हुए मंदिर और धरोहर आज भी मौजूद है।