Rotterham इंग्लैंड के यॉर्कशायर का एक शहर है, जहां कुछ साल पहले एक छोटी बच्चियों का सीरियल बलात्कार करने वाला गिरोह धर पकड़ाया था। पाकिस्तानी मूल के टैक्सी ड्राइवर गिरोह के ५ मुख्य मेंबर थे। ये लोग चाइल्ड सेण्टर से, स्कूल से इन लड़कियों को पिकअप और ड्राप किया करते थे। इसी दौरान इन हज़ारो छोटी बच्चियों का यौन शोषण किया और डरा धमका कर इनके परिजनों, दोस्तों को भी अपने लपेटे में लिया। १२ साला लड़की का २५ साल का आदमी बॉयफ्रेंड होता था जो पूरे गुट से उसका शोषण करवाता था। इन बच्चियों को इन लोगों ने ड्रग्स, शराब आदि की इतनी लत लगवा दी कि वो लोग इस मकड़जाल में सालों तक फंसे रहे। १९८० से ले के २०१२ तक ये कुकर्म चलते रहे। अजमेर १९९२ को भारत का rotterham भी कहा जाता है।
१९९४ में भी जलगांव में भी कुछ ऐसा ही केस हुआ था, जिसमे स्कूल कॉलेज की छात्राओं को वेश्यावृति में धकेल दिया गया था। उस केस में भी लोकल नेताओ की मिली भगत थी और वो केस पूर्ण रूप से दबा दिया गया था!
अजमेर सेक्स स्कैंडल पार्ट- 02गतांक से आगे :
अजमेर में ये नग्न फोटो, वीडियो का चेन इस कदर बढ़ चुका था कि कुछ गलीच किस्म के लोकल अख़बार वाले फोटो ना छापने के लिए लड़कियों से पैसे मांग रहे थे। कुछ लड़कियों ने इसके चलते अपनी जान दे दी थी। वो फोटो मुफ्त की रेवड़ी की तरह सब जगह बाँट रहे थे ये लोग। धीरे-धीरे हालत ऐसी हो गयी कि अजमेर में शादी करने के लिए लड़के वाले हिचकिचाने लगे। जिसकी भी शादी पक्की होती, वो लोकल अख़बार के दफ्तर पहुंच जाता और छानबीन करता कि उसकी मंगेतर की तस्वीरें तो नहीं है सर्कुलेशन में। १९९२ में जब ये खबर छपी तो पुलिस ने १८ लोगों के खिलाफ F.I.R. दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार किया।
अब इस केस की क्रोनोलॉजी देखिये :
- १९९२: खबर छपी- १८ लोग गिरफ़्तार।
- १९९८: सेशन कोर्ट का फैसला- ८ लोगों को उम्र क़ैद।
- २००१: हाईकोर्ट का फैसला- ४ को छोड़ा; बाकी ४ के कुछ चार्जेज ड्राप किये गए।
- २००३: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- उम्र क़ैद को दस साल की सजा में बदला
- २०१३: हाईकोर्ट का फैसला- फारूख चिश्ती के बारे में।
- २०१२: सलीम चिश्ती जो फरार था- पुलिस ने पकड़ा
- २०१८: सोहैल चिश्ती ने २६ साल बाद सर्रेंडर किया।
इस से पहले आगे पढ़े, पहले मुख्य अभियुक्तों के नाम जान लीजिये :
- फारूख चिश्ती
- नसीम चिश्ती उर्फ़ टार्ज़न
- मोइजुल्लाह चिश्ती उर्फ़ पुत्तन
- अनवर चिश्ती
- परवेज अंसारी
- शमशुद्दीन चिश्ती उर्फ़ माराडोना
- सोहैल चिश्ती
- अल्मास महाराज
- नफीस चिश्ती
- इक़बाल अजमेरी
इस केस से जुड़े एक जाने माने कांग्रेस के नेता का नाम भी बहुत आया था, लेकिन कोई सबूत नहीं मिले तो वो नाम यहाँ नहीं लिख रहा हूँ।
थोड़ी छानबीन करी और पुराने केसे के फैसले खंगाले। Sessions Case No. 91/2002 (110/1992) मिला और इस से जुड़ा राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला पूरा पढ़ा। इस फैसले के मुख्य पहलु जानने बहुत जरुरी है :
१ - जज थे: मोहमद रफ़ीक और निशा गुप्ता।
२- अभियुक्तों के वकील: विनय यादव और सरकारी वकील: जावेद चौधरी।
३- ज्यादातर पीड़ित महिलाये अपने बयान से पीछे हट गयी, केवल २ लड़कियां कायम रही।
४- सजा को कम करने का कारण था कि इन दो लड़कियों को ये याद नहीं था कि उनके साथ बलात्कार १९९० में हुए या १९९१ में।
भारतीय नेशनल अखबारों ने इस खबर को इतने छोटे-छोटे टुकड़ो में कवर किया है कि ये सब डिटेल्स कभी सामने नहीं आयी। और कुछ पहलु थे जिन पर गौर देना जरुरी है :
१- फारूख चिश्ती ने खुद को पागल घोषित कर दिया था और चूँकि वो दस साल सजा काट चुका था, उसे २०१३ में रिहा कर दिया गया।
२- सोहली चिश्ती- जिसने २०१८ में सर्रेंडर किया था- वो १९९२ के बाद बांग्लादेश भाग गया था।
३- सलीम चिश्ती को २०१२ में पकड़ा गया। १९९२ से २०१२ तक वो फरार रहा।
४- अल्मास महाराज आज भी फरार है - अमेरिका में है शायद। सीबीआई ने रेड कार्नर नोटिस हालिया में ज़ारी करवाया है। अलग-अलग कोर्ट के फैसले की तारिख देखिये- २०१३ की सुनवाई में पीड़िता से पूछते है कि साल १९९० था या १९९१?
६- सोहैल चिश्ती के अलावा सब अभियुक्त आज आज़ाद है।
भारतीय न्याय प्रणाली पर कुछ लिखना सुनना बेमानी है। अंग्रेजी में एक कहावत है: justice delayed is justice denied! लेकिन हम भारतीय इस कहावत में यकीन नहीं रखते है। तभी तो १९९२ की पीड़ित लड़कियों को २०१३ में कोर्ट में बुला-बुलाकर फिर से याद करने को कहा गया था। फोटो साक्ष्य, वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद!
बहुत कोशिश की ये पता लगाने कि ये लोग आजकल क्या कर रहे है। एक दो लोकल लोगों से पता लगा ये सब अब अपने पुश्तैनी काम में लगे हुए है। और सेंस भी बनता है: आदमी साँझ ढले अपने घर ही वापस जाता है। तो अगली बार आप टोकरे में फूल और चादर चढ़ाने जाए तो इन सब बातो को ध्यान में जरूर रखना।
अंत में: इस कृत्य के लेख में सब नाम और तथ्य पूरे साफ़ लिखे है। पोस्ट कोर्ट के फैसले भी पूरे-पूरे पढ़े है, तब जाकर लेख पूर्ण कर पाया। फेसबुक पर बहुत छोटा वर्जन किया ताकि लोगों को पढ़ने में इंटरेस्ट बना रहे। इस सीरीज में ऐसे कुछ सात एपिसोड लिखे थे - आज़ाद भारत के गुमनाम किस्से। कभी नहीं सोचा था ये पोस्ट करूँगा - लेकिन जब पता चला कि इस केस पर एक वेब सीरीज आ रही है: तो लगा जरुरी है लोगों को असली कहानी बताई जाए।
यदि आप को कुछ और पता है तो मुझे जरूर बताये ताकि उन सब डिटेल को भी शामिल कर सकूँ। पढ़ने के लिए धन्यवाद !!!!!