खालिस्तानी आतंकवादियो ने आयरलैंड के आकाश में उड़ा दिया था भारतीय विमान! जिसमे 329 लोगो की मौत हुई थी

खालिस्तानी आतंकवादियो ने आयरलैंड के आकाश में उड़ा दिया था भारतीय विमान! जिसमे 329 लोगो की मौत हुई थी

 23 जून 1985 की सुबह 7 बजे का समय था। एयर इंडिया की ‘फ्लाइट-182' कनाडा से लंदन होते हुए भारत आ रही थी। इसमें 307 पैंसेजर्स और 22 क्रू मेंबर सवार थे। यह बोइंग 747 -237B (c/n: 21473/330, reg: VT-EFO) विमान था, जिसे एयर इंडिया ने कनिष्क नाम दिया था।

   करीब 7 बजे कनिष्क विमान के पायलट कैप्टन नरेंद्र सिंह हंस ने आयरलैंड में हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से आज्ञा मांगी। उस समय कॉकपिट में उपलब्ध को-पायलट सतविंदर सिंह भिंदर कह रहे थे कि ‘जल्द ही मैं भी पायलट बन जाउंगा।’

   7 बजकर 8 मिनट पर आयरिश ATC ने कहा कि लंदन के लिए रास्ता साफ है, आप आगे बढ़ सकते हैं। लंदन वहां से 45 मिनट की दूरी पर था। विमान जमीन से 31 हजार फीट (9,400 मीo) ऊपर उड़ रहा था। इसी दौरान कनिष्क विमान के कार्गो होल्ड में एक जोरदार धमाका हुआ।

   विस्फोट से विमान के पिछले और अगले हिस्से में दरारें आ गई और विमान के बीच में एक बड़ा गड्डा हो गया था। चंद सेकेंड में उस बड़े गड्ढे से सामान और लोग बाहर की ओर नीचे गिरने लगे। कुल ही पलों में विमान भी समुद्र (51°3.6′N 12°49′W/ 51.0600°N 12.817°W) में जा गिरा। जब आयरलैंड का बचाव दल मौके पर पहुंचा तो समुद्र में चारों तरफ तेल, बिखरे हुए शव और सामान तैर रहा था। विमान में 329 लोग सवार थे, लेकिन 141 शव ही मिल सके। 

दुर्घटना की जगह

उसी समय दूसरा बम टोक्यो एयरपोर्ट पर हुआ

   जब ये विमान हवा में था, लगभग उसी वक्त टोक्यो एयरपोर्ट पर एक और धमाका हुआ। इसमें जापान के दो बैग हैंडलर्स की जान चली गई। इस बम के जरिए एक दूसरी बैंकॉक जाती एयर इंडिया फ्लाइट में धमाके की साजिश थी, मगर बम वक्त से पहले ही फट गया। इन धमाकों के पीछे कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी थे।

कनिष्क विमान, VT-EFO, घटना से दो सप्ताह से भी कम समय पहले 10 जून 1985 को लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरते हुए देखा गया था

वेटिंग टिकट की मदद से बम वाला सूटकेस फ्लाइट में पहुंचा

   धमाके से एक दिन पहले यानी 22 जून 1985 को दोपहर डेढ़ बजे अपने आप को 'मंजीत सिंह' कहने वाले एक शख्स ने एम. सिंह के नाम से एयर इंडिया की फ्लाइट 181/182 पर टिकट कन्फर्म करने के लिए फोन किया। उसे बताया गया कि टिकट वेटिंग है।

   मंजीत को पहले कनाडा के वैंकूवर से टोरंटो जाना था और उसके बाद टोरंटो से एयर इंडिया फ्लाइट-182 में सवार होकर भारत आना था। मंजीत चाहता था कि उसका बैग सीधे एयर इंडिया की फ्लाइट में चेकइन कर दिया जाए, ताकि टोरंटो पहुंचने के बाद उसे फिर से सिक्योरिटी चेक में न उलझना पड़े।

   एम. सिंह टोरंटो जाने वाली कनाडियन पैसिफिक एयरलाइंस की फ्लाइट के लिए बैंकूवर एयरपोर्ट पहुंचा। उसने एयरपोर्ट पर मौजूद जांच एजेंट जेनी एडम्स से बात की और अपना बैग एयर इंडिया की फ्लाइट-181 में रखवाने के लिए कहा। दरअसल, यही फ्लाइट मॉन्ट्रियल पहुंचने के बाद 181 से 182 हो गई थी, क्योंकि यहां से उसे मुंबई जाना था।

   एजेंट ने कहा कि सर आपकी टोरंटो से मॉन्ट्रियल और मॉन्ट्रियल से मुंबई तक की सीट कन्फर्म नहीं है। ऐसे में आपका लगेज इंटर-लाइन नहीं किया जा सकता। उस दौर में एयर पोर्ट पर जांच के लिए आज की तरह हाईटेक उपकरण नहीं थे। एम. सिंह ने रौबदार आवाज में जेनी से कहा, 'रुको मैं तुमसे बात करने के लिए अपने भाई को बुलाता हूं।' जैसे ही वह जाने लगा, एजेंट ने नरमी दिखाई और उसका सूटकेस ले लिया। एजेंट ने कहा कि वो ये सूटकेस टोरंटो में रखवा देगा, लेकिन उसे टोरंटो में एयर इंडिया की फ्लाइट में फिर से चेक इन करना होगा तभी ये सूटकेस उसे मिल पाएगा।

   शाम 4 बजे प्लेन में बैठकर 30 लोग वैंकूवर से टोरंटो के लिए रवाना होते हैं, इन सभी को टोरंटो से फ्लाइट-182 में सवार होना था। रात 8 बजे कनाडियन पैसिफिक एयर लाइंस की फ्लाइट करीब चालीस मिनट की देरी से टोरंटो पहुंची। यहां से कुछ सामान एयर इंडिया की फ्लाइट-182 में ट्रांसफर किया गया। इसमें एम. सिंह का वो सूटकेस भी था, जिसमें टाइम बम था।

   एयर इंडिया ने आतंकी धमकियों के चलते एक्स्ट्रा सिक्योरिटी का अनुरोध किया था। कनाडा सरकार ने टोरंटो और मॉन्ट्रियल के टर्मिनलों में एक्स्ट्रा पुलिस फोर्स लगाई थी। यहां सारे सामान की जांच एक्स-रे या हाथ से की जानी थी। उस दिन टोरंटो एयरपोर्ट पर एक्स-रे मशीन के खराब हो जाने के बाद जांचकर्ताओं ने एक पोर्टेबल पीडीडी-4 नामक विस्फोटक सूंघने वाली मशीन से जांच की। ये मशीन विस्फोटक को तब पकड़ सकती थी जब विस्फोटक पदार्थ केवल उससे एक इंच दूर हो। इस दौरान मंजीत के बैग के पास हल्की सी बीप की आवाज भी आई, लेकिन कर्मचारियों ने उसे इग्नोर कर दिया। कुल मिलाकर मशीन सूटकेस में रखे विस्फोटक को नहीं पकड़ पाई।

   इस तरह टाइम बम से लैस वो सूटकेस एयर इंडिया की फ्लाइट में पहुंच गया। हालांकि हादसे के बाद जब जांच की गई तो पता चला कि कैनेडियन पैसिफिक एयरलाइंस में कोई एम. सिंह सवार नहीं हुआ। उस व्यक्ति की पहचान भी नहीं हो पाई कि वो कौन था।

खालिस्तानी आतंकवादियो ने आयरलैंड के आकाश में उड़ा दिया था भारतीय विमान! जिसमे 329 लोगो की मौत हुई थी
कनिष्क विमान के मृत लोगो को निकालते हुए आयरलैंड के नौसेना

23 जून 1985 को ब्लास्ट, 22 क्रू मेंबर सहित 307 लोगों की मौत

  • रात 00:15 बजे एयर इंडिया की फ्लाइट-181 कनिष्क, टोरंटो से मॉन्ट्रियल एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई। रात 1 बजे फ्लाइट-181 मॉन्ट्रियल पहुंची। यह फ्लाइट-181 बदलकर  फ्लाइट-182 हो गई, जो लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से दिल्ली और फिर मुंबई जानी थी।
  • अब तक यात्रियों की संख्या 307 हो चुकी थी, जिनमें 268 कनाडा के नागरिक थे और इनमें लगभग 84 बच्चे थे। 
  • सभी 22 क्रू मेंबर भारत के थे, जिसमे कैप्टन हंसे सिंह नरेंद्र कमांडर के रूप में और कैप्टन सतिंदर सिंह भिंदर प्रथम अधिकारी के रूप में सेवारत थे। दारा दुमासिया फ़्लाइट इंजीनियर के रूप में सेवारत थे। 
  • जबकि यात्रियों में ज्यादातर भारत के मूल निवासी थे, जो अपने रिश्तेदारों से मिलने भारत जा रहे थे।
  • आयरिश एयर स्पेस में दाखिल होने के बाद वहां के ट्रैफिक कंट्रोल ने पाया कि विमान रडार से गायब हो गया है। 
  • इसके बाद बचाव दल ने अभियान शुरू किया तो पता चला सुबह 7 बजकर 14 मिनट पर सूटकेस वाला टाइम बम फट गया था।
  • विमान समुद्र में डूबकर 6,700 फीट की गहराई में समा गया। बचाव दल को सिर्फ 141 लाशें मिलीं, इनमें नवजात बच्चे भी थे। 
  • कुछ लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी और कुछ लोगों की पानी में डूबने से हुई। 197 शव समुद्र में खो गए। 
  • इस आतंकी हमले में कनाडा के 268, यूके के 27, भारत के 22 क्रू मेंबर और 12 अन्य लोगों को मिलाकर कुल 329 यात्रियों की मौत हुई।
    खालिस्तानी अटैक में मार गये लोगो के आंकड़े
    टोक्यो एयरपोर्ट पर भी एयर इंडिया की फ्लाइट निशाने पर डे-लाइट सेविंग 4K55 से बची फ्लाइट

   बैंकूवर में ठीक इसी तरह एक और साजिश हुई थी। 22 जून की दोपहर एल. सिंह नाम का एक आदमी एयरपोर्ट आया और उसने केनेडियन पैसिफिक एयरलाइन्स में एक दूसरा सूट केस चेक इन कराया। ये फ्लाइट टोक्यो जा रही थी, जहां से एल सिंह ने एयर इंडिया की फ्लाइट-301 का एक कनेक्टिंग टिकट बुक कराया था। एक बार फिर केनेडियन पैसिफिक एयरलाइन्स की फ्लाइट में रखा एक सूटकेस टोक्यो पहुंच गया, लेकिन एल. सिंह नहीं पहुंचा।

   ये सूटकेस भी एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़ जाता, लेकिन यहां एल. सिंह से एक गलती हो गई। कनाडा और अमेरिका में 'डे लाइट सेविंग' चलती है। मतलब गर्मियों में घड़ियों को एक घंटा आगे बढ़ा दिया जाता है और जाड़ों में एक घंटा पीछे कर दिया जाता है। चूंकि टोक्यो में डे लाइट सेविंग का नियम नहीं है, इसलिए टाइम बम में टाइमर लगाते समय इस एक घंटे के फर्क का ध्यान नहीं रखा गया और बम में फीड किए गए समय के मुताबिक, फ्लाइट से एक घंटा पहले ही जब सूटकेस टोक्यो में बैगेज एरिया में था, तभी उसमें विस्फोट हो गया। इस घटना में दो लोगों की जान चली गई, लेकिन किस्मत से एयर इंडिया फ्लाइट-301 के सभी यात्री बच गए।

साजिश में शामिल ‘बब्बर खालसा’

   1985 जून के शुरुआती हफ्ते में राजीव गांधी अमेरिका के दौरे पर जाने वाले ले थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार की पहली बरसी भी आने को थी। इस लिहाज से अमेरिका और कनाडा में राजीव की सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त किया गया था। कनाडा में बब्बर खालसा नाम के सिख अतंकवादी संगठन पर खास नजर थी। इसका मुखिया तलविंदर सिंह परमार था। साल 1970 में तलविंदर ने कनाडा की स्थायी नागरिकता ले ली थी और 1978 में उसने बब्बर खालसा इंटरनेशनल की शुरुआत की थी, जिसकी मांग सिखों के लिए एक अलग देश, खालिस्तान की थी।

खालिस्तानी आतंकवादियो ने आयरलैंड के आकाश में उड़ा दिया था भारतीय विमान! जिसमे 329 लोगो की मौत हुई थी
इंद्रजीत सिंह रियात

   1983 में तलविंदर कुछ दिन जर्मनी में जेल में रहा और 1984 में रिहा होकर वापस कनाडा आ गया। भारत में उसने पंजाब पुलिस के दो ऑफिसर्स की हत्या की थी। इसलिए भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की कोशिश भी की, लेकिन कनाडा सरकार राजी न हुई।

   राजीव गांधी के दौरे के मद्देनजर कनाडा सीक्रेट पुलिस तलविंदर पर नजर रख रही थी। पता चला कि तलविंदर कुछ लोगों से मुलाकात कर रहा था। इनमें से एक शख्स था इंदरजीत सिंह रेयात। ब्रिटिश कोलंबिया में रहने वाला एक अदना सा मिल मजदूर इंदरजीत ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद कहा करता था कि “भारत से बदला लेना है।”

   तलविंदर, एक स्कूल में काम करने वाले हरदीप सिंह जोहल और रिपुदमन सिंह मलिक से भी मिलता था। मलिक, कनाडा की सिख कम्युनिटी में काफी रसूख रखता था और खालिस्तान आंदोलन से जुड़ा था। इनके अलावा एक और शख्स था- अजायब सिंह बागड़ी। 1984 के सिख दंगों के बाद बागड़ीने एक भाषण में कहा था कि “वो 50,000 हिंदुओं की हत्या कर बदला लेगा।”

   ये सभी कनाडाई पुलिस के रडार पर थे। लेकिन राजीव गांधी का दौरा हो जाने के बाद पुलिस ने इन पर नजर रखना बंद कर दिया। यहीं कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों से भारी चूक हुई।

खालिस्तानी आतंकवादियो ने आयरलैंड के आकाश में उड़ा दिया था भारतीय विमान! जिसमे 329 लोगो की मौत हुई थीरिपुदमन सिंह मलिक (दाएं)

   ऑपरेशन ब्लू स्टार और दिल्ली में सिख नरसंहार के बाद कनाडा के सिख समुदाय में भारी गुस्सा था। उस साल हिंदू कनाडियन नागरिकों पर हमले की कुछ वारदातें भी हुईं। कनाडा के गुरुद्वारों से खालिस्तान जिंदाबाद के नारे उठ रहे थे। इसी बीच बब्बर खालसा एयर इंडिया में यात्रा न करने की चेतावनी जारी करने लगा था। 

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने सूचना दी थी

   कहा जा रहा था कि एयर इंडिया के प्लेन बीच आसमान से टपकेंगे, लेकिन कनाडा की अथॉरिटी इससे बेपरवाह थीं। क्योंकि ये असल में भारतीय हिंदुओं और भारतीय सिखों के बीच का मामला था। कनाडा के लोगों को खालिस्तान, हिंदू और सिख जैसे शब्दों से कोई लेना-देना नहीं था, न ही इसमें उनका कोई नुकसान था। 

  • 23 जून के बम हमले से 2 हफ्ते पहले भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों को आगाह किया था। ये भी बताया था कि किसी प्लेन पर हमला हो सकता है, लेकिन फिर भी उन्होंने इस मामले में चूक की।
  • 23 जून के कुछ दिन पहले तक कनाडा की पुलिस ने तलविंदर का फोन टैप किया हुआ था। हमले के 4 दिन पहले तलविंदर ने फोन पर हरदीप सिंह जोहल से पूछा, 'कहानी लिख दी है?' दूसरी तरफ से जवाब आया, नहीं। इस पर तलविंदर ने जवाब दिया, 'लिख दो।' 
  • 22 जून को तलविंदर के पास एक और कॉल आया। दूसरी तरफ से कहा गया, 'कहानी लिख दी है, देखना है तो आ जाओ।'
  • 'कहानी लिख देने' से यहां मतलब फ्लाइट में टिकट बुक कराने से था। बम तैयार करने की जिम्मेदारी इंदरजीत सिंह रेयात की थी। उसने लोकल स्टोर से बम बनाने का सामान भी खरीदा, लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वजह वही, भूरे लड़-मर रहे थे, और गोरों को इससे कोई दिक्कत नहीं थी।
  • इस प्लेन हादसे में भारतीय एक्टर इंदर ठाकुर भी अपने परिवार सहित चल बसे थे। ये वही इंदर ठाकुर हैं जो फिल्म 'नदिया के पार' में सचिन पिलगांवकर के बड़े भाई बने थे।

कनाडा पुलिस को पहले से ब्लास्ट की खबर थी

   अगर कनाडा की पुलिस चाहती तो ये बम ब्लास्ट रोक सकती थी। दिसंबर 1984 में पुलिस के दो मुखबिरों ने पुलिस एयर इंडिया में ब्लास्ट की जानकारी दी थी, जिसे पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। अगस्त 1984 में कनाडा के एक कुख्यात अपराधी गेरी बौडरॉल्ट ने ये खुलासा किया था कि उसे तलविंदर परमार ने एक सूटकेस दिखाया था।

   परमार ने उसे ऑफर दिया था कि अगर तुम विमान में ये बम लगा दो तो तुम्हें 2 लाख (आज के करीब 5 लाख) डॉलर दिए जाएंगे। इसे बाद तुम आराम का जीवन जी सकते हो। शुरुआत में गेरी को ये आइडिया अच्छा लगा।

   थोड़ी देर बाद उसे लगा कि एक साथ इतने लोगों को मारने का पाप करना ठीक नहीं है। उसने तलविंदर परमार से कहा कि भले ही मैंने जेल में टाइम बिताया हो। कई अपराध किए हों, लेकिन ये काम मैं नहीं करूंगा। वो कुछ दिन बाद सीधा पुलिस के पास गया। उसने एयर इंडिया बम ब्लास्ट की साजिश के बारे में बताया, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 

कनिष्क विमान के मृत यात्रियों के शव से साथ आयरिश नौसेना

कनाडा के सिख एयर इंडिया से यात्रा बन्द कर दिए थे

   लोग एयर इंडिया छोड़ ब्रिटिश एयरवेज से सफर कर रहे थे। पुलिस और सरकार ने इस बात को तब भी गंभीरता से नहीं लिया जब कनाडा के ज्यादातर सिख लोगों ने एयर इंडिया का उपयोग करना ही बंद कर दिया।  

   कनाडा की वरिष्ठ पत्रकार और इस हादसे पर 'लॉस ऑफ फेथः हाऊ द एयर इंडिया बॉम्बर्स गॉट अवे विद मर्डर' किताब लिखने वाली किम बोलन ने एक शख्स प्रकाश बेदी के हवाले से लिखा है कि प्रकाश की पत्नी और बच्चे पहली बार अकेले सफर कर रहे थे। प्रकाश ने देखा कि एयर इंडिया की लाइन में सिख नहीं हैं, जबकि ब्रिटिश एयरवेज की लाइन जल्द ही सिखों की भीड़ से भर गई। बेदी ने अपने साथ गए दोस्त से पूछा कि सभी सिख ब्रिटिश एयरवेज से सफर क्यों कर रहे हैं। उसने बताया कि उन्हें हिदायत दी गई है कि वे एयर इंडिया की फ्लाइट न लें।

   जब ये बात प्रकाश को पता चली तो वे अपने बीवी-बच्चों को वापस लाने के लिए गार्ड से प्रार्थना करने लगे, लेकिन तब तक प्रकाश का परिवार बोर्डिंग पास लेकर एयरपोर्ट के उस इलाके में दाखिल हो चुका था जहां उनसे संपर्क नहीं हो सकता था। ज्यादातर स्थानीय लोगों को भी पता था उन्हें एयर इंडिया में सफर नहीं करना है। बस पुलिस और सरकार को ही नहीं पता था।

20 साल केस चला, सभी आरोपी रिहा हो गए

   20 साल बाद भी कनाडा सरकार आज तक पीड़ितों के परिजनों को न्याय नहीं दिला पाई है। 

तलविंदर सिंह परमार: हमले के कुछ महीने बाद रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने ब्लास्ट के मास्टर माइंड तलविंदर सिंह परमार को गिरफ्तार किया। पुलिस ने केस दर्ज किया लेकिन सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद परमार पहले पाकिस्तान गया और वहां से साल 1992 में भारत पहुंचा। यहां एक पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई।

इंद्रजीत सिंह: कुछ समय बाद इंद्रजीत को कई हथियारों, विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया। टोक्यो में हुए धमाके के सबूत पुलिस के पास थे, धमाके में हुए 2 जापानी लोगों की हत्या के जुर्म में इंद्रजीत को कनाडा में 10 साल की सजा हुई। 

रिपुदमन सिंह मलिक: वैंकूवर का एक व्यापारी था, जिसने एक क्रेडिट संघ और कई खालसा स्कूलों के लिए निधि देकर मदद की थी। हाल ही में उसे विस्फोटों में किसी भी प्रकार शामिल होने के लिए दोषी नहीं पाया गया।

अजायब सिंह बागड़ी: अजायब सिंह बागरी पर प्रथम श्रेणी की हत्या और हवाई जहाज़ों पर बम लगाने सहित आठ आरोप लगे थे। उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। बागरी 1971 में कनाडा चले गए और कैमलूप्स, बी.सी. के पास एक आरा मशीन में फोर्कलिफ्ट ड्राइवर के रूप में काम किया। वह तुरंत शहर के छोटे इंडो-कैनेडियन समुदाय में एक शक्तिशाली उपदेशक के रूप में उभरा। न्यूयॉर्क शहर के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में सिखों की एक रैली में बागड़ी ने कहा, "हम 50,000 हिंदुओं को मार देंगे।"

फ्लाइट में बम भरे सूटकेस रखने वाले एम. सिंह और एल. सिंह कौन थे, यह कभी पता नहीं चला।

   कनाडा सरकार की पूरी दुनिया में कड़ी आलोचना के बाद साल 2006 में कनाडा ने फिर जांच कमीशन बैठाया। इसने 2010 में माना कि कनाडा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने कई गलतियां की थीं, जिसके चलते फ्लाइट में बम बलास्ट हुआ था।

   ये कनाडा के इतिहास का सबसे महंगा और लंबा चलने वाला केस था। कनाडा ने 25 साल तक मामले की जांच खींची। कुल 46,800 करोड़ रुपए खर्च किए। इस मामले में जिस एक शख्स को जेल हुई, उसे साल 2017 में रिहा कर दिया गया।

   कनिष्क प्लेन की घटना के बाद खालिस्तान चरमपंथियों ने एक नई थ्योरी को जन्म देने की भी कोशिश की। जिसके अनुसार परमार भारत का खुफिया एजेंट था और उसने प्लेन गिराने की साजिश इसलिए रची ताकि खालिस्तान आंदोलन की छवि खराब की जा सके। हालांकि भारत में जैन कमीशन ने अपने रिपोर्ट में पाया था कि तलविंदर कई बार राजीव गांधी की हत्या की भी योजना बना चुका था।



The Tribune: Two held for ’85 Kanishka crash

https://web.archive.org/web/20080627144320/http://www.tribuneindia.com/2000/20001029/main2.htm


AirDisaster.com: Special Report: Air India Flight 182

https://web.archive.org/web/20091007035356/http://www.airdisaster.com/special/special-ai182.shtml


CVR transcript Air India Flight 182 - 23 JUN 1985 

https://web.archive.org/web/20100403070724/http://aviation-safety.net/investigation/cvr/transcripts/cvr_ai182.php


Portrait of a bomber

https://web.archive.org/web/20090729002114/http://www2.canada.com/vancouversun/features/airindia/story.html?id=b9be40db-39e5-4080-9fb7-7e586a751805


Report of the Court Investigating Accident to Air India Boeing 747 Aircraft VT-EFO, "Kanishka" on 23rd June 1985 (माननीय न्यायमूर्ति श्री बी. एन. किरपाल न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, दिल्ली, 26 फ़रवरी 1986.)

https://web.archive.org/web/20070616115736if_/http://www.publicsafety.gc.ca/prg/ns/airs/_fl/Kirpalai-en.pdf


Federal Court of Canada "Affidavit of Archie M. Barr"

https://web.archive.org/web/20040330143418if_/http://www.cbc.ca:80/news/background/airindia/documents/tab1.pdf


"Canadian Judge Says Sikh Guilty In 2 Bomb Deaths"

https://web.archive.org/web/20120406100057/http://articles.orlandosentinel.com/1991-05-11/news/9105111146_1_sikh-koda-bomb


https://en.m.wikipedia.org/wiki/Air_India_Flight_182

Air India case marred by 'inexcusable' errors. Canadian PM to apologize and compensate families of 1985 bombing victims

https://web.archive.org/web/20100619124722/http://www.cbc.ca/canada/story/2010/06/17/air-india017.html


Agent recalls checking fateful Air India bag

https://web.archive.org/web/20120815181118/http://www.cbc.ca/news/story/2003/05/05/airindia050503.html


तलविंदर सिंह परमार

https://web.archive.org/web/20040330143418if_/http://www.cbc.ca:80/news/background/airindia/documents/tab1.pdf


मारे गए लोगो की लिस्ट

https://web.archive.org/web/20050318220743/http://www.cbc.ca/news/background/airindia/victims.html


"Canadian Judge Says Sikh Guilty In 2 Bomb Deaths"

https://web.archive.org/web/20120406100057/http://articles.orlandosentinel.com/1991-05-11/news/9105111146_1_sikh-koda-bomb




Post a Comment

Previous Post Next Post