दूसरा घटनाक्रम
पहला घटनाक्रम था विवाह, जिसे आप पिछले भाग-1 में यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है।
कई संदिग्ध चीजों की अनदेखी की गई। जबकि कई इंटेलीजेंस इनपुट थे। दूसरी अहम घटना 23 जून, 1980 को घटी। विमान दुर्घटना में संजय गांधी मारे गए। सारे परिस्थितिजन्य साक्ष्य इसमें किसी साजिश का इशारा करते हैं। लेकिन इसकी जांच के लिए एम.एल. जैन की अध्यक्षता में बने एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई।
संजय गांधी कैसे मारे गए
संजय गांधी 1970 के दशक में सत्ता के असली केंद्र थे। उन दिनों दिल्ली में सत्ता के गलियारे केजीबी (KGB-रूस की खुफिया एजेंसी) और सीआईए (CIA- अमेरिका की खुफिया एजेंसी) की जंग के अखाड़े थे। बड़े नेताओं और नाकरशाहों के इनसे रिश्तों के किस्से उड़ते रहते थे। संजय गांधी उनमें अकेले थे, जिन्होंने इन दोनों को पास नहीं फटकने दिया। लेकिन भारतीय खुफिया एजंसियों में उनका हस्तक्षेप कुछ ज्यादा ही था। देश में 1975 एक महत्त्वपूर्ण साल साबित हुआ जब आपात काल लगाया गया। उन दिनों "सोवियत हाइपोथीसिस" (Soviet Hypothesis) की चर्चाएं गर्म थीं। कहा जाता था कि “रूस को आपातकाल लगने की जानकारी पहले से थी”। यह निराधार नहीं थी। अब स्थापित तथ्य है कि आपातकाल लगाने से पहले इंदिरा गांधी ने सोवियत संघ से मंत्रणा की थी।
"सोवियत हाइपोथीसिस" को साबित करने के लिए अकाट्य प्रमाण यह है कि सोवियत संघ की बेहद खतरनाक काउंटर इंटेलीजेंस विंग वीकेआर (Voennaya Kontra Razvedka) की एक अति गोपनीय बैठक दिल्ली में हुई। यह चौंकाने वाली बात थी। लेकिन केजीबी की पहुंच उन दिनों भारत में सर्वव्यापी थी। तमाम कम्युनिस्ट बुद्धिजीवी, नेता और लेफ्ट लिबरल सेक्यूलर खुल्लम-खुल्ला उनका साथ देते थे और उनका कुछ नहीं बिगड़ता था।
सारे इंटेलीजेंस इनपुट से लैस VKR के विश्लेषकों ने इस बैठक में खासतौर से संजय गांधी पर चर्चा की। लेकिन वीकेआर के ही एक विश्लेषक ने 1979 में रॉ (RAW-भारतीय खिफ़िया एजेंसी) के एजेंट को कुछ दस्तावेज लीक कर दिए। इन लीक दस्तावेजों के अनुसार “संजय गांधी पश्चिमी झुकाव वाले पूंजीवादी थे और अंतत: सीआईए के पाले में जाएंगे”।
स्पष्ट था कि संजय गांधी प्रो-अमेरिका थे। सोवियत इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। लेकिन एक बार किसी नतीजे पर पहुंच जाने के बाद केजीबी और खासतौर से वीकेआर कुछ दिनों या महीनों के भीतर एक्शन न ले, यह अविश्वसनीय है। यहां फिर ओपस दाई तस्वीर में आती है। ओपस दाई और केजीबी अक्सर आपसी तालमेल से काम करते थे। अविश्वसनीय भले ही लगे। वीकेआर के चीफ (नास्तिक) जोसेफ स्टाविनोहा पूरी तरह से वेटिकन के प्रभाव में थे। आखिरकार मार्च, 1980 में ओपस दाई ने वीकेआर की सोवियत हाइपोथीसिस पर खुद कार्रवाई का फैसला किया। 23 जून 1980 को संजय गांधी मारे गए।
संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी परिवार सहित इंदिरा गांधी के साथ रहने लगे। कुछ ही महीनों में मेनका गांधी को आधी रात को घऱ से बाहर कर दिया।
(अगले पार्ट-3 में)