भारत रत्न की कहानी

भारत रत्न की कहानी
    ‘भारत रत्न’ भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है। जिसे भारत सरकार ने वर्ष १९५४ में लांच किया था। इस पुरस्कार से जुड़ी अनेक विवाद (controversy) है, जो समय-समय पर उभरती है। जैसे कि ‘सचिन तेंदुलकर बनाम मेजर ध्यानचंद’, ‘चच्चा और लौहलैडी को ख़ुद को पुरस्कार देना’ आदि। आज इस पोस्ट के ज़रिए कुछ तथ्यों की पड़ताल करेंगे- पाठक स्वविवेक से ख़ुद बतलायें कि कहानी क्या है! 

भारत-रत्न का चुनाव कौन करेगा?

   ‘भारत रत्न’ की कहानी भारत की आज़ादी के सात साल बाद शुरू हुई और भारतीय संविधान लागू हुए चार साल हुए थे। राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी थे और 2 जनवरी १९५४ को भारतीय गैजेट में भारत रत्न और तीन वर्गों के पद्म विभूषण दिए जाने की सूचना देश को दी गई। नियमों अनुसार भारत रत्न एक वर्ष में अधिकतम तीन लोगों को दिया जा सकता था और हर साल के उम्मीदवार (nominee) का चुनाव करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की होगी और जिसका घोषणा देश के राष्ट्रपति करेंगे। यहाँ तक मामला बड़ा सीधा था! कोई संशय ना था। 

पहला भारत रत्न (1955)

   फिर इसी साल 1954 के पंद्रह अगस्त को तीन लोगों को ये पुरस्कार मिला! प्रधानमंत्री कार्यालय ने तीन लोगों के नाम सुझाए! पंद्रह अगस्त के गैजेट में नाम छापा, तीनो का नाम मे पहला नाम था- 
१- चक्रवर्ती राजगोपालचारी 
२- सर्वपाली राधाकृष्णन
३- चंद्रशेखर वेंकट रमन
फोटो में गैजेट- और दिए गए नाम तारीख के साथ देखा जा सकता है। 
प्रथम भारत रत्न पुरस्कार दिए जाने वाले 3 लोग थे
गजट 1954: जिसमें तीन लोगों को भारत रत्न दिए जाने की जानकारी है

दूसरे भारत रत्न पुरुस्कार (१९५५) में 

   अगले साल बरस १९५५ में २६ जनवरी को भारत रत्न दो लोगों को मिला। भारतीय गैजेट की तारीख देखिए- और दो लोगों के नाम देखिए।
    फिर इसी साल १५ जुलाई १९५५ को फिर गैजेट छापा गया जिसके तहत चच्चा नेहरू जो उस समय प्रधानमंत्री थे, उन्हें भारत रत्न से नवाज़ा गया।
   अब इस संदर्भ में कांग्रेसी पक्ष कहता है- चच्चा साहब विदेशी यात्रा से लौटे थे, तो राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन बुलावा कर उन्हें पुरस्कार दे चकित कर दिया। चच्चा साहब को तो मालूम ही नहीं था कि उन्हें ये पुरस्कार मिलने वाला था??? 
जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न दिए जाने हेतु गजट
जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न दिए जाने हेतु गजट

कहानी में दम है! किंतु पेंच भी बहुत है

    तो ये मान लिया जाये कि राष्ट्रपति जी ने बिना बताए पीएम को भारत रत्न से मनोनीत कर उन्हें तमग़ा पहना दिया। मसलन, आज महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी अचानक से मोदी जी को राष्ट्रपति भवन बुलवा भारत रत्न दे दें, तो ये कहानी गले से नीचे उतरेगी?
   चच्चा नेहरू वर्ष १९५५ के जून-जुलाई महीने में यूरोप के दौरे पर थे। पंद्रह जुलाई के गैजेट में जिस दिन उन्हें इनाम मिलने की ख़बर छपी, वो वेटिकन में पोप से मुलाक़ात कर रहे थे। ये ख़बर वेटिकन के समाचार पत्र में तारीखों के साथ भी है। तो साफ़ है कि जिस दिन पुरस्कार की घोषणा हुई, चच्चा साहब देश में ही नहीं थे। सच्च ये भी है कि उस वर्ष के पुरस्कार की घोषणा जनवरी माह में ही हो चुकी थी।  
जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस समय यूरोप यात्रा का विवरण
जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस समय यूरोप यात्रा का विवरण
   स्पष्ट है कि चच्चा साहब को जब राष्ट्रपति भवन में ये पुरस्कार मिला, तब उन्हें भली भाँति ज्ञात था कि उनकी अध्यक्षता वाली कमिटी के तहत उन्हें ही पुरस्कार मिला है।
कांग्रेसी पक्ष ये जोरों से कहता है कि “डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने ख़ुद इन्हें ये पुरस्कार दिया था, जबरन, सरप्राइज कर के।” 
    अब ये बात भी ध्यान देने लायक है, कि “चच्चा साहब कतई नहीं चाहते थे कि राजेंद्र प्रसाद जी राष्ट्रपति बने, वो राजाजी यानी राजगोपालचारी को बनवाने के पक्ष में थे।” और चच्चाजी राजेन्द्र प्रसाद जी के सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के सख्त विरुद्ध थे। और भी अन्य राजनैतिक भेद थे। इस सब के बावजूद यदि प्रसाद जी ने अपनी मर्जी से उन्हें पुरस्कार दिया, तब तो चच्चा साहब को डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी के रिटायर होने पर और उनके अंतिम समय में उनका शुक्रगुज़ार होना चाहिए था। बड़े अहसान फ़रामोश निकले चच्चा इस लिहाज़ से!  

यही कहानी इंदिरा जी के साथ दोहराई गई! 

   जब जबरन राष्ट्रपति वीवी गिरी जी ने उन्हें दिसम्बर में ये पुरस्कार दे दिया! जबकि अमूमन इसकी घोषणा २६ जनवरी या 15 अगस्त को होती थी।  अब इस पर भी तर्क ये है कि उन्होंने ख़ुद को ये पुरस्कार नहीं दिया, उन्हें भी सरप्राइज दिया गया कि मैडम आप सर्वोच्च पुरस्कार जीत चुकी है! जबकि उम्मीदवार का चुनाव प्रधानमंत्री कार्यालय से ही आते है। और आज भी किसको भारत रत्न देने है, उसका चुनाव प्रधानमंत्री कार्यालय ही  करता है। 
इंदिरा गांधी को भारत रत्न दिए जाने हेतु गजट
इंदिरा गांधी को भारत रत्न दिए जाने हेतु गजट

आरटीआई से सवाल का जबाब

   इन दोनों भारत रत्न से जुड़ी कंट्रोवर्सी को लेकर आरटीआई खूब डाली गई, जिसका मुख्य बिंदु ये है कि—
   प्रश्न १- भारत रत्न की सिफारिश क्या प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से करते है? 
सरकार का उत्तर है- हाँ। 
  प्रश्न २- चच्चा और लौह लेडी को भारत रत्न के लिए किसने मनोनीत किया? 
   उत्तर- जानकारी उपलब्ध नहीं है। 
भारत रत्न सम्बंधित आरटीआई से सरकार द्वारा दिया गया जबाब
आरटीआई से सरकार द्वारा दिया गया जबाब
   उक्त पोस्ट से जुड़ी सब जानकारी गैजेट आदि का फोटो पोस्ट में ही है। सुबूत जिसे चाहिए- वह ले सकता है, देख सकता है।
   सारा खेल तारीख़ों में छिपा है। बस डॉट्स जोड़ने आने चाहिए! अब निष्कर्ष पाठक अपने स्वविवेक से ख़ुद निकाले! हाथ कंगन को आरसी क्या- पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या! 



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