जौनपुर का 'अटाला देवी मस्जिद'

हिन्दू मूर्ति के निशान मिटा कर अटाला देवी मस्जिद बनायीं गयी
जौनपुर पर पहला शासन कन्नौज के शासक

       यशोवर्धन का था! जिन्होंने इस शहर का नाम यवनपुर रखा था। 13वीं शताब्दी में यवनपुर का शासक फिरोज़ शाह तुगलक हो गया। फिरोज़ शाह तुगलक ने सन 1359 में यवनपुर का नाम बदल कर जौनपुर कर दिया। तुगलक ने अपने चचेरे भी जौना खान के नाम पर जौनपुर रखा था। 

   प्राचीन हिन्दू ग्रंथो के अनुसार जौनपुर में महर्षि दधीचि रहते थे। प्राचीन काल मे महर्षि दधीचि के कारण ही जौनपुर का नाम जमदाग्निपुरी था। 

अटाला देवी मस्जिद

  जौनपुर में मौजूद अटाला मस्जिद फ़िरोज़ शाह तुगलक के भाई इब्राहिम नायब बर्बक ने बनवायी थी। सब ब्रिटिश काल की पुस्तकों में इस मस्जिद का नाम “अटाला देवी मस्जिद” ही लिखा मिलेगा।  

The Wonder That Was India’ Volume-2
अटाला मस्जिद का पुराना फोटो

   फ़िरोज़ शाह ने जब अपना जौनपुर में किला बनवाया था! तब उसने ये अटाला देवी का मंदिर देखा और इस पर अपनी निगाह गड़ाई।  आसपास के हिन्दू प्रतिरोध के कारण उसने समझौता किया कि वो ये मंदिर नहीं तोड़ेगा! किन्तु ये समझौता उसके भाई इब्राहिम ने तोडा और फिर मंदिर का विध्वंस भी किया। केवल मंदिर का मुख्य द्वार रहने दिया, बाकी सब हिन्दू मूर्ति आदि के निशान मिटा कर अटाला देवी मस्जिद बनायीं गयी।  

   अटाला मस्जिद, अटला देवी का मंदिर है, यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है मंदिर के खंभों आदि पर आज भी हिंदू स्थापत्य व वास्तुकला तथा हिंदू रीति रिवाज के चिह्न व अवशेष मौजूद हैं।  

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अटाला मस्जिद के अंदर का दृश्य

    ये सब ऑफिसियल डाक्यूमेंट्स में दर्ज है। ये अँगरेज़ अफसर साफ़ लिखते है- “मस्जिद के अंदर घुसते ही मंदिर होने का अहसास होता है, कई दीवारे खुरची हुई है।..”  

   ध्यान रहे कि जब काशी विश्वनाथ मंदिर का केस मीडिया में आया था, तब इस मस्जिद के अंदर कुछ तोड़फोड़ की खबरे आयी थी। 

The Art and Architecture of Islam: 1250-1800 में शीला ए. ब्लेयर और जोनाथन एम ब्लूम ने पेज नंबर 198-199 पर लिखा है, ‘अटाला मस्जिद (1408) में इब्राहीम शर्की ने अटाला माता को समर्पित हिंदू मंदिर को तोड़कर उसी की नींव पर बनवाया था। ये उस समय की बाकी मस्जिदों से अलग भी है।’

The Art and Architecture of Islam: 1250-1800
The Art and Architecture of Islam: 1250-1800

    ‘मध्य कालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति’ में प्रो (डॉ) फणींद्र नाथ ओझा ने पेज नंबर 93 पर ‘हिंदू-इस्लामी वास्तुकला का विकास’ शीर्षक के तहत लिखा है, ‘अटाला मस्जिद वास्तुकला की शर्की शैली का सबसे प्रांरभिक और सर्वाधिक सुंदर नमूना है। जिस जगह पर उसका निर्माण हुआ, वहाँ पहले अटाला देवी का मंदिर था। मंस्जिद का निर्माण उस मंदिर की सामग्री से हुआ।’ 

‘मध्य कालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति’ 

   The Wonder That Was India’ Volume-2 में सैय्यद अतहर अब्बास रिजवी ने अटाला मस्जिद के इतिहास को लिखा है। उन्होंने शर्की वंश और अटाला मस्जिद के निर्माण के बारे में लिखा, “शर्की डायनेस्टी कम समय तक जौनपुर में रहा, लेकिन उसके एक रूलर इब्राहीम शाह शर्की (1401-40) एक महान निर्माता थे। साल 1408 में उन्होंने अटाला मस्जिद का काम पूरा करवाया। ये अटाला देवी मंदिर की जगह पर बना था, जिसे फिरूज ने 1376 में तोड़ा था। अटाला मस्जिद में हिंदू मंदिर के पिल्लरों, छतों व अन्य सामानों का इस्तेमाल किया गया। इसे 22.87 मीटर ऊँचा बनाया गया।”

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   वैसे! कौन सी मस्जिद का नाम देवी के ऊपर होता है? अटाला देवी मस्जिद? बेशर्मी, बेहायाई, गुंडागर्दी के ऐसे अनेको नमूने आपको भारत के कई शहरों, कस्बो में आज भी देखने को मिलेंगे! यदि कोई ढंग से देखना चाहे तो।

सन्दर्भ

  •  मेडिवल इंडिया अंडर मोहम्मडन रूल; लेन पूल; (१९०३) पृष्ठ- १७०)
  •  “अरचेलोगिकाल सर्वे ऑफ इंडिया: नार्थ वेस्टर्न प्रोविनिसेस: अवध और जौनपुर 
  • “इंडियन एंड ईस्टर्न आर्चीटेकटर” वॉल्यूम-३, पृष्ठ: ५२२-५२४; जेम्स फेर्गुसन 
  • “शर्की आर्किटेक्चर ऑफ़ जौनपुर”; एडवर्ड स्मिथ; पृष्ठ- २९-३२

Note- शाह आलम के समय मौलाना खेरुद्दीन द्वारा लिखी गयी पुस्तक “तारीख़-ऐ-जौनपुर” में भी इस बात का उल्लेख मिल सकता है।


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