पहली बात: क्या आपने कभी AMWAY चैन मार्केटिंग के बारे में सुना-जाना है? यदि नहीं तो ये जान लीजिये की ये पिरामिड चैन रूप में चलती है। एक से शुरू हुई, वो एक दो और को लाएगा, वो दो अगले चार को और इस प्रकार ये चैन बढ़ती चली जायेगी। इस कांसेप्ट का अजमेर स्कैंडल से बहुत बड़ा नाता है।
दूसरी बात: भारतीय परिपेक्ष में अश्लील तस्वीरो का मीडिया में आना कोई नयी बात नहीं थी। सत्तर के दशक में बाबू जगजीवन राम के पुत्र सुरेश राम की फोटो (जिनकी बहन "बैठ जाईये" फेम मीरा कुमार है) दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ की अश्लील फोटी सूर्य मैगज़ीन में छपी थी। छापने वाली मेनका गाँधी थी, खुशवंत सिंह के साथ। तो अश्लील तस्वीर, वीडियो का नाता भारत के विभिन्न केस से पहले से चल रहा था ।
गतांक से आगे :
मई १९९२ में अजमेर के एक लोकल अख़बार नवज्योति में एक दिन एक लड़की की धुंधला किया हुआ नग्न फोटो छपी। जिसमे चिश्ती परिवार के कुछ लोग उस लड़की को घेरे खीसे निपोर रह रहे है। शहर में हंगामा मच गया। पुलिस को लगा चूँकि मामला दो धर्मो का है, मामले को दबा दिया जाए। हालांकि हक़ीक़त इस से बहुत परे थी। एक पत्रकार राजेश गुप्ता इस मामले की तह तक जाने की कोशिश में जुटे थे। जो मामला निकल कर सामने आये वो किसी भी सभ्य इंसान के रौंगटे खड़े कर देने वाला था।
सोफिया कॉलेज इलाके का सबसे जाना माना मॉडर्न कॉलेज है। जहां बड़े-बड़े लोगों की लड़कियां आईएएस, आईपीएस, बड़े बिजनेसमैन आदि की कन्याये पढ़ने जाती थी / है। सन नब्बे के दशक में बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का कांसेप्ट बहुत नया था। हर किसी अजमेर के युवक का सपना था कि सोफिया कॉलेज की कोई कन्या उसकी महिला मित्र बने।
इस स्कैंडल की शुरुआत कैसे हुई- उसके दो वर्जन है:
पहला वर्जन- फारूक चिश्ती जो युथ कांग्रेस का अध्यक्ष था- उसकी एक हिन्दू गर्लफ्रेंड थी। उसके भाई, दोस्तों ने मिलकर किसी तरह उन दोनों की आपत्तिजनक अवस्था में रील वाले कैमरा से फोटो खींच ली।
दूसरा वर्जन- फारूक चिश्ती और उसके कुछ भाई, दोस्तों ने मिलकर एक हिन्दू लड़की (सोफिया की स्टूडेंट) को किडनैप कर अपने फार्महाउस पर ले जाकर बलात्कार किया और कुछ फोटो खींच ली।
तो कुल मिलाकर शुरुआत कुछ ऐसे हुई की जब एक लड़की की फोटो इन लोगों ने ले ली। तब सिलसिला शुरू हुआ ब्लैकमेल का। इन छह लोगों ने उस लड़की को धमकाया और कहा- यदि अपनी एक दोस्त को ले के ना आयी तो फोटो का पोस्टर बना कर शहर में चिपका देंगे। यहाँ से चैन मार्केटिंग वाला ब्लैकमेल शुरू हुआ और धीरे-धीरे इसकी चपेट में कक्षा नौ से ले के ग्रेजुएट तक की २५० से ३०० लड़कियां आयी। सही आंकड़ा और कितनी लड़कियों का जीवन बर्बाद हुआ, आज तक सामने नहीं आया है। ये अंदाज़ा कुछ NGO और कुछ पत्रकारों का है।
बात रील वाले कैमरा से शुरू हुई थी, वीडियो कैसेट तक पहुंच गयी
लड़कियों को रोजाना शारीरिक रूप से प्रताड़ना और शोषण सहन करना था। हर लड़की इस उम्मीद में दूसरी लड़की को दलदल में धकेल देती कि उसके फोटो के नेगेटिव उसे मिल जाएंगे और वो इस मकड़जाल से आज़ाद हो जायेगी। लेकिन जिस जगह ये लोग फोटो डेवेलोप करवाते थे, वो लैब वाला भी उसी मजहब का इनका दोस्त था। उसने कुछ कॉपी हर बार अपने लिए बना कर रख ली और वो अपने दुसरे दोस्तों के साथ उन लड़कियों को ब्लैकमेल करता, बलात्कार करता और पैसे भी वसूलता। हालत इस कदर बिगड़ गए थे कि इन पीड़ित लड़कियों को लेने गाड़िया उनके लड़कियों के लेने उनके घर आती थी और वो अपने माँ-पिता के सामने जाती थी फार्महाउस पर।
सिलसिला और आगे बढ़ा, जब ये फोटो कुछ पुलिस वालो के हाथ लगी। उन्होंने भी वही किया। फोटो कुछ लोकल नेताओ के हाथ पड़ी तो उन्होंने भी वही किया। जिस किसी के हाथ वो फोटो लगती, वही इन लड़कियों का शोषण करने लगता। एक दो पत्रकारों ने इसकी तह तक जाना चाहा तो उन्हें दिन दहाड़े मार दिया गया और पुलिस ने आपसी रंजिश का नाम देकर केस बंद कर दिया। लेकिन उन बेचारी लड़कियों का शोषण बा-दस्तूर चालु था।
नवज्योति के एडिटर और पत्रकार ने बहुत हिम्मत दिखते हुए खबर छापी। लेकिन केंद्र में अपनी सरकार और राज्य में बीजेपी की, तो डबल प्रेशर में पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां की। कुछ लैब असिस्टेंट के लोगों को दबोचा। जिसमे से एक ने आत्महत्या कर ली। राज्य सरकार अगर कुछ कदम उठाती तो केंद्र वाले इसे राजनैतिक बदला कहते। आपस की नूरा कुश्ती का आलम इस कदर बढ़ा की लगभग दस लड़कियों ने एक महीने के अंदर आत्महत्या कर ली। शहर में हंगामा मचा और तीन दिन तक लोगों ने धरना, प्रदर्शन आदि किया। अब पुलिस के समकक्ष समस्या थी कि केस का वादी किसे बनाये? कोई पीड़ित आगे आने को तैयार ना थी!
अगली और आखिरी कड़ी में पढ़िए -
इस केस में आगे क्या हुआ और आज इस केस के अभियुक्त कौन है और कहाँ है ?
अंत में: इतिहास खुद को दोहराता है और जो लोग इतिहास से सबक नहीं लेते, इतिहास बार-बार उनको वही सबक सिखाता है। सदियों से विधर्मी आक्रान्तो ने देश की नारियो के साथ जो जघन्य कुकर्म किये, उसकी पुनःवर्ती १९४७ में बड़े स्केल पर हुई थी और १९९२ में वही काण्ड फिर से खुलेआम हो रहा था। भूत में भी लोगों ने सिर्फ देखा और सहा और इस समय भी देखा और सहा। इतिहास क्या फिर से आगे भी यही सबक सिखाएगा?
Story by - Mann Jee