समय था १९९२ का! जब ना तो डिजिटल कैमरा प्रचलन में थे और ना कोई स्मार्ट फ़ोन। फ़ोन के नाम पर गिने चुने लोगों के घर फ़ोन होते थे, जिनमे STD सुविधा भी बहुत कम थी। कोई मीडिया ऐसा ना था जो देशभर में जानकारी तुरंत मुहैया कराये। स्थानीय अख़बार ही लोगों को खबरों से वाकिफ करते थे।
खबर या कोई वीडियो वायरल होने का मतलब वो नहीं था, जो आज के समय में होता है। खबर मैगज़ीन के नाम पर 'इंडिया टुडे' पढ़ना गर्व की बात माना जाता था और आउटलुक मैगज़ीन को आने में पूरे तीन साल बाकी थे। खबर चैनल भी केवल दूरदर्शन था और आज की तरह न्यूज़ चैनल की भरमार नहीं थी।
इस समय भारत में पीवी नरसिम्हाराव जी की कांग्रेस की सरकार थी केंद्र में और राजस्थान में बीजेपी पार्टी से भैरोसिंह शेखावत जी मुख्यमंत्री थे। अजमेर राजस्थान का एक टियर-३ शहर है, जहां दो चीज़े मशहूर है- मोइद्दीन चिश्ती की दरगाह और पढाई लिखाई के कुछ इंस्टीटूट्स जैसे मेयो कॉलेज, सोफिया गर्ल्स कॉलेज। दरगाह और चिश्ती के विषय में कुछ लिखने की जरुरत नहीं है लोगों को सब पता है। इस विषय पर भी लिखने की जरुरत नहीं कि चिश्ती का पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता से क्या कनेक्शन था।
दरगाह की देख-रेख का जिम्मा जिस परिवार को है वो चिश्ती परिवार है; जिन्हे खादिम कहा जाता है। तो कुल मिलकर ये मोइद्दीन चिश्ती के वंशज हुए जो पीढ़ी दर पीढ़ी दरगाह की देख रेख कर रहे है। आपने अक्सर बड़े-बड़े लोगों को वहां चादर चढ़ाते हुए, दुआ मांगते हुए न्यूज़ में देखा पढ़ा होगा। अमिताभ बच्चन से ले के हर कोई फ़िल्मी कलाकार अपनी दुआ मनवाने जियारत के लिए जाता है।
नेता लोग भी इसमें पीछे नहीं है- मौजूदा प्रधानमंत्री भी ये करते है और बाकायदा सोशल मीडिया पर फोटो डालते है। तो कुल मिला कर ये परिवार धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक तौर से बहुत मजबूत रहा है और यदि इस में यदि राजनीति का छौंका लग जाए तो क्या कहने! फिर तो कोई भी बाल-बांका करने वाला नहीं है।
१९९२ में इस परिवार के कुछ लोग युथ कांग्रेस के बड़े-बड़े पदों पर थे। तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन लोगों की तरफ ऊँगली उठाने वाला कोई ना था- पुलिस जेब में, अधिकारी मुठ्ठी में और राजनेता पीठ पीछे।
बाबरी विध्वंस दिसंबर १९९२ में हुआ था, लेकिन मई १९९२ में एक लोकल अख़बार में ऐसी खबर छपी, जिसने अजमेर की शांत वातावरण को अचानक झकझोर कर उठा दिया। लेकिन वो खबर वही दब कर रह गयी! देश भर में उसका असर वो ना हुआ, जो होना चाहिए था। लोगों की आत्मा को झकझोर देने वाला ये काण्ड केवल कुछ लाइन की खबर बन कर रही गयी।
अगली कड़ी में पढ़िए इस काण्ड के बारे में- कब, कहाँ, क्यों आदि प्रश्नो के उत्तर के साथ।
Story by - Mann Jee
नोट- कृपया ये जान लीजिये ये सीरीज केवल किताबों, अखबारों, लोगों से बात चीत के आधार पर लिखी है। इस सीरीज में कुछ ऐसे केस लिखे है जो मीडिया में आये तो थे, लेकिन लोगों को ३६० डिग्री व्यू ज्ञात नहीं है। तो इस सीरीज का केवल एक ही उद्देश्य है- सब जानकारी एक साथ लिखना ताकि लोगों को पूरी तस्वीर साफ़ दिखाई दे। इस सीरीज में मेरी खुद की कोई राय नहीं है। ये सब जानकारी इंटरनेट पर बिखरी पड़ी है। लिंक या रिफरेन्स देने में विश्वास नहीं है। यदि कुछ लिखा है तो पूरी रिसर्च करके लिखी है! तो कृपया लिंक आदि ना मांगे। किसी जाति, धर्म विशेष से भी कोई पूर्वाग्रह से भी ग्रसित नहीं हूँ, जो जानकारी मिली वो ज्यो की त्यों पेश कर दी है। ये सब लेख एक दो साल पहले लिखे थे और ट्विटर पर मिली लेटेस्ट जानकारी के आधार पर इस सीरीज को अपडेट करने की पूरी चेष्टा की है।