भारतवासी जहाँ कहीं भी गये, वहाँ की सभ्यता और संस्कृति को तो उन लोगों ने प्रभावित किया है, वहाँ के स्थानों के भी नाम बदलकर उनका भारतीयकरण कर दिया। कहा गया है कि इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप का नामकरण सुमित्रा के नाम पर हुआ था। जावा के एक मुख्य नर का नाम योग्याकार्टा (YogyaKarta) है। 'योग्या' संस्कृत के अयोध्या का विकसित रुप है और जावानी भाषा में कार्टा का अर्थ नगर होता है। इस प्रकार योग्याकार्टा का अर्थ अयोध्या नगर है।
इंडोनेशिया स्थित सेरयू (सरयू) नदी |
मध्य जावा की एक नदी का नाम सेरयू (Serayu) है और उसी क्षेत्र के निकट स्थित एक गुफा का नाम किस्केंदा (Kiskenda) अर्थात् किष्किंधा है।१ जावा के पूर्वी छोर पर अवस्थित एक शहर का नाम सेतुविंदा है, जो निश्चय ही सेतुबंध का जावानी रुप है। इंडोनेशिया में रामायणीय संस्कृति से संबद्ध इस स्थानों का नामकरण कब हुआ, यह कहना कठिन है, किंतु मुसलमान बहुल इस देश का प्रतीक चिन्ह गरुड़ निश्चय ही भारतीय संस्कृति से अपने सरोकार को उजागर करता है।
रावण, सीता को हर कर ले जाते हुए; बाँए तरफ जटायु बचाने का प्रयत्न करते हुए। |
मलाया स्थित लंग्या सुक अर्थात् लंका के राजकुमार ने चीन के सम्राट को ५१५ई. में दूत के माध्यम से एक पत्र भेजा था। जिसमें यह लिखा गया था कि "उसके देश में मूल्यवान संस्कृत की जानकारी है, उसके भव्य नगर के महल और प्राचीर गंधमादन पर्वत की तरह ऊँचे है।"२ मलाया के राजदरबार के पंडितों को संस्कृत का ज्ञान था, इसकी पुष्टि संस्कृत में उत्कीर्ण वहाँ के प्राचीन शिला लेखों से भी होती है। गंधमादन उस पर्वत का नाम था जिसे मेघनाद के वाण से आहत लक्ष्मण के उपचार हेतु हनुमान ने औषधि लाने के क्रम में उखाड़ कर लाया था। मलाया स्थित लंका की भौगोलिक स्थिति के संबंध में क्रोम नामक डच विद्वान का मत है कि यह राज्य सुमत्रा द्वीप में था, किंतु ह्मिवटले ने प्रमाणित किया है कि यह मलाया प्राय द्वीप में ही था।३
बर्मा का पोपा पर्वत औषधियों के लिए विख्यात है
वहाँ के निवासियों को यह विश्वास है कि लक्ष्मण के उपचार हेतु पोपा पर्वत के ही एक भाग को हनुमान उखाड़कर ले गये थे। वे लोग उस पर्वत के मध्यवर्ती खाली स्थान को दिखाकर पर्यटकों को यह बताते हैं कि पर्वत के उसी भाग को हनुमान उखाड़ कर लंका ले गये थे। वापसी यात्रा में उनका संतुलन बिगड़ गया और वे पहाड़ के साथ जमीन पर गिर गये जिससे एक बहुत बड़ी झील बन गयी। इनवोंग नाम से विख्यात यह झील बर्मा के योमेथिन जिला में है।४ बर्मा के लोकाख्यान से इतना तो स्पष्ट होता ही है कि वहाँ के लोग प्राचीन काल से ही रामायण से परिचित थे और उन लोगों ने उससे अपने को जोड़ने का भी प्रयत्न किया।
बर्मा स्थित Popa पर्वत |
थाईलैंड का द्वारका नगर
थाईलैंड का प्राचीन नाम स्याम था और द्वारावती (द्वारिका) उसका एक प्राचीन नगर था। थाई सम्राट रामातिबोदी ने १३५०ई. में अपनी राजधानी का नाम आयुतथ्या (अयोध्या) रखा, जहाँ ३३ राजाओं ने राज किया। ७ अप्रैल १७६७ ई. को बर्मा के आक्रमण से उसका पतन हो गया। अयोध्या का भग्नावशेष थाईलैंड का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। अयोध्या के पतन के बाद थाई नरेश दक्षिण के सेनापति चाओ-फ्रा-चक्री को नागरिकों ने १७८५ ई. में अपना राजा घोषित किया। उसका अभिषेक राम प्रथम के नाम से हुआ। राम प्रथम ने बैंकॉक में अपनी राजधानी की स्थापना की। राम प्रथम के बाद चक्री वंश के सभी राजाओं द्वारा अभिषेक के समय राम की उपाधि धारण की जाती है। वर्तमान थाई सम्राट राम नवम हैं।
Laupburi cave |
थाईलैंड में लौपबुरी -Lopburi (लवपुरी) नामक एक प्रांत है। इसके अंतर्गत वांग-प्र नामक स्थान के निकट फाली (वालि) नामक एक गुफा है। कहा जाता है कि वालि ने इसी गुफा में थोरफी नामक महिष का वध किया था।५ यहाँ यह उल्लेखनीय है कि थाई रामायण रामकियेन में दुंदुभि दानव की कथा में थोड़ा परिवर्तन हुआ है। इसमें दुंदुभि राक्षस के स्थान पर थोरफी नामक एक महाशक्तिशाली महिष है जिसका वालि द्वारा वध होता है। वालि नामक गुफा से प्रवाहित होने वाली जलधारा का नाम सुग्रीव है। थाईलैंड के ही नखोन-रचसीमा प्रांत के पाक-थांग-चाई के निकट थोरफी पर्वत है, जहाँ से वालि ने थोरफी के मृत शरीर को उठाकर २००कि.मी. दूर लौपबुरी फेंक दिया था।६ सुखो थाई के निकट संपत नदी के पास फ्राराम गुफा है। उसके पास ही सीता नामक गुफा भी है।७
दक्षिणी थाईलैंड और मलयेशिया के रामलीला कलाकारों को ऐसा विश्वास है कि रामायण के पात्र मूलत: दक्षिण-पूर्व एशिया के निवासी थे और रामायण की सारी घटनाएँ इसी क्षेत्र में घटी थी। वे मलाया के उत्तर-पश्चिम स्थित एक छोटे द्वीप को लंका मानते हैं। इसी प्रकार उनका विश्वास है कि दक्षिणी थाईलैंड के सिंग्गोरा नामक स्थान पर सीता का स्वयंवर रचाया गया था। जहाँ राम ने एक ही बाण से सात ताल वृक्षों को बेधा था। सिंग्गोरा में आज भी सात ताल वृक्ष हैं।८ जिस प्रकार भारत और नेपाल के लोग जनकपुर को निकट स्थित एक प्राचीन शिलाखंड को राम द्वारा तोड़े गये धनुष का टुकड़ा मानते हैं, उसी प्रकार थाईलैंड और मलेशिया के लोगों को भी विश्वास है कि राम ने उन्हीं ताल वृक्षों को बेध कर सीता को प्राप्त किया था।
Phra Ram cave |
वियतनाम का प्राचीन नाम चंपा है। थाई वासियों की तरह वहाँ के लोग भी अपने देश को राम की लीलाभूमि मानते है। उनकी मान्यता की पुष्टि सातवीं शताब्दी के एक शिलालेख से होती है जिसमें आदिकवि वाल्मीकि के मंदिर का उल्लेख हुआ है, जिसका पुनर्निमाण प्रकाश धर्म नामक सम्राट ने करवाया था।९ प्रकाशधर्म (६५३-६७९ई.) का यह शिलालेख अनूठा है, क्योंकि आदिकवि की जन्मभूमि भारत में भी उनके किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष उपलब्ध नहीं है।
इंडोनेशिया के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह "गरुण" |
भारतवासी जहाँ कही भी गये भौतिक साधनों के अतिरिक्त आस्था के संबल भी साथ ले गये। भौतिक संसाधनों का तो कालांतर में विनाश हो गया, किंतु उनके विश्वास का वृक्ष स्थानीय परिवेश में फलता-फूलता रहा। प्राकृतिक कारणों से उनकी आकृति और प्रकृति में संशोधन और परिवर्तन अवश्य हुआ, किंतु उन्होंने शिला खंडों पर खोद कर जो उनका इतिहास छोड़ा था, वह आज भी उनकी कहानी कर रही है।
संदर्भ:
1. Raghavan, V., The Ramayana in Greater India, P.87
2. Sarkar, H.B., The Ramayana Tradition in Asia, P.104-105
3. Itaid, P.105
4. Iyer, K.B., The Ramayana in Burma, Triveni, 1942, 239-40
5. Sahai, Sachchidanand, The Ramayana in Laos, P.123
६. वर्मा सुधा, आग्नेय एशिया में रामकथा, पृ.१२३
७. उपरिवत्, पृ.१२७
८. Sweems Amin, The Ramayana Tradition in Asia, P.128
9. Iyengar, K.R Srinivas, Asian Variation in Ramayana, P.193
2. Sarkar, H.B., The Ramayana Tradition in Asia, P.104-105
3. Itaid, P.105
4. Iyer, K.B., The Ramayana in Burma, Triveni, 1942, 239-40
5. Sahai, Sachchidanand, The Ramayana in Laos, P.123
६. वर्मा सुधा, आग्नेय एशिया में रामकथा, पृ.१२३
७. उपरिवत्, पृ.१२७
८. Sweems Amin, The Ramayana Tradition in Asia, P.128
9. Iyengar, K.R Srinivas, Asian Variation in Ramayana, P.193
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