भ्रष्टाचारियों द्वारा बनारस में मंदिर तोड़ने का झूठ फैलाया जा रहा है! |
पीएम नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में विकास कार्यों में से एक "काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट" और "गंगा पाथवे" को लेकर लोगों में भ्रम फैलाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। पिछले कुछ समय से मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाने की कोशिश की जा रही है कि काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में गंगा पाथवे के नाम पर कई ऐतिहासिक मंदिर तोड़े जा रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। यह बात सही है कि कुछ अवैध निर्माणों को तोड़ा गया है, लेकिन ये मंदिर नहीं, बल्कि उन पर कब्जे के लिए बनाए गए अवैध ढांचे थे। इस तरह से उन इमारतों में कैद हो चुके प्राचीन मंदिरों को मुक्त कराने का काम चल रहा है। अब इन्हें दोबारा स्थापित किया जाएगा। तस्वीरों को आप देखेंगे तो आपको स्वयं अनुभव हो जाएगा कि किस प्रकार मंदिरों पर कब्ज़ा किया गया हैं।
फोटो का स्लाइड शो
क्या है मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट?
दरअसल प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा नदी तक कभी एक सीधा रास्ता हुआ करता था। इस रास्ते पर ढेरों प्राचीन मंदिर हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ-साथ मंदिरों पर कब्जा कर-कर के कुछ लोगों ने दुकानें, गेस्ट हाउस और होटल बना लिए। यहां तक कि वो प्राचीन रास्ता भी अवैध निर्माणों के चलते बंद हो गया। काशी को प्राचीन गौरव दिलाने की पीएम मोदी की तमाम परियोजनाओं में से एक यह भी थी। जिसमें उन खोये हुए मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की बात थी। लेकिन लोकल भू-माफिया ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं और संत के रूप में प्रतिष्ठित इन पार्टियों के एजेंटो के साथ मिलकर यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि “मोदीजी काशी की धरोहर को नष्ट करने पर तुले हैं।” धीरे-धीरे कई जाने-माने कलाकार, पत्रकार और साधु-संत भी इस प्रायोजित अभियान के झांसे में आ गए और उन्होंने बिना सच्चाई जाने विरोध शुरू कर दिया।
मंदिरों की असल हालत क्या?
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर एक दैवीय क्षेत्र माना जाता है। पहले मुगल शासकों और अब आजादी के बाद कांग्रेसी सरकारों के दौर में इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मस्जिद और दरगाहें बनवा दी गई हैं। दूसरी तरफ हिंदू अपनी विरासत को बचाने के बजाय लालच में फंसे हुए हैं। कई लोगों ने आसपास के प्राचीन मंदिरों को हड़पकर उनका इस्तेमाल अपनी जेब भरने के लिए शुरू कर दिया। न तो प्रशासन और न ही स्थानीय हिंदू समाज ने इसका कभी विरोध किया। अब हालत ये हो चुकी है कि कई प्राचीन सिद्ध मंदिर इस दुर्दशा में पहुंच चुके हैं कि आप विश्वास नहीं कर पाएंगे। काशी विश्वनाथ क्षेत्र का वो मूल स्वरूप ही नहीं बचा है जिसकी वैज्ञानिकता पर कभी पूरे हिंदू समाज को गर्व हुआ करता था।
उपर स्लाइड शो के तस्वीरों में आप मंदिरों की बर्बादी की कहानी देख सकते हैं कि कैसे उन मंदिरों पर अवैध कब्ज़ा कर के गेस्ट हाउस और होटल बनाए गए हैं। मुस्लिम शासकों के हाथों हिंदू मंदिरों को तोड़े जाने की कहानियां तो आपने बहुत सुनी होंगी, लेकिन काशी विश्वनाथ क्षेत्र में आपको शायद पहली बार पता चलेगा कि खुद हिंदू किस तरह अपने ही मंदिरों को बर्बरता के साथ तोड़ रहे हैं। इनमें लगी प्राचीन सिद्ध मूर्तियों को शो-पीस बनाकर बेचा जा रहा है। इन मंदिरों पर बने गेस्ट हाउस और होटलों में विदेशी टूरिस्ट ठहरते हैं और उन्हें शराब से लेकर मांसाहारी भोजन तक परोसा जाता है। कुछ लोग तो दावा करते हैं कि कुछ गेस्ट हाउस गोमांस भी परोसते हैं।
कौन फैला रहा है झूठ?
दरअसल कांग्रेस के करीबी माने जाने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तानंद सरस्वती इस दुष्प्रचार अभियान में सबसे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख गुरु होने के नाते उन्हें यहां के मंदिरों के संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी। इसके बजाय वो इन अवैध निर्माणों को बढ़ावा देने में जुटे हैं। जब केरल और कर्णाटक में खुलेआम सड़को पर गौ वध किया जाता हैं और गौ मांस बेचा जाता हैं तो इनके मुख में दही जम जाता हैं। क्योंकि तब यह कार्य उनकी मालकिन के कार्यकर्ता द्वारा की जाती हैं। यही नहीं उन्होंने अपने साथ काशी के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों और राजनीतिक दलों को भी शामिल कर लिया है।
इनमें संकट मोचन मंदिर के महंत का परिवार भी हैं, जिस पर राजीव गांधी के समय शुरू हुई गंगा सफाई योजना के नाम पर आए करोड़ों रुपये हजम करने का आरोप है। संकट मोचन मंदिर की स्थापना खुद गोस्वामी तुलसीदास ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए की थी। अब महंत का परिवार हर साल यहां पर संकटमोचन महोत्सव करवाता है, जिसमें पाकिस्तानी गायकों को बुला कर गजलें गवाई जाती हैं। वो कांग्रेस पार्टी से अपनी नजदीकियों के लिए भी जाने जाते हैं। हालांकि उन्होंने पीएम मोदी से नजदीकी बनाने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन उनके इतिहास को ध्यान में रखते हुए मोदी ने उन्हें ज्यादा भाव नहीं दिया।
बिजली चोरी भी बड़ा कारण हैं
काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास गलियों में ज्यादातर दुकानों, मकानों, गेस्टहाउसों में अवैध बिजली इस्तेमाल हो रही थी। मोदी सरकार ने पूरे इलाके में बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करवा दिया है। जिससे कंटिया डालकर बिजली चोरी का धंधा बंद हो गया। पहले इस इलाके में बिजली का ट्रांसमिशन लॉस 45 फीसदी तक था, जो अब कम होकर 10 प्रतिशत के भी नीचे आ गया है। लोकल लोगों के मुताबिक मोदी सरकार से नाराजगी का ये बहुत बड़ा कारण है। इसका सबसे बड़ा नुकसान गलियों और घाटों में रेस्टोरेंट चलाने वालों को हुआ है। ये महज इत्तेफाक नहीं है कि इनमें से ज्यादातर कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता या पदाधिकारी हैं। वो अपने रेस्टोरेंट में अंडे और चिकन, मटन जैसी चीजें बेचते हैं।
नोट: अगर आपको भी लगता हैं कि मोदी-योगी इन मंदिरों को अतिक्रमण से मुक्त करा कर काशी के प्राचीन गौरव को स्थापित करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक Share कर "काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट" और "गंगा पाथवे" के विरूद्ध मंदिर को तोड़ने का दुष्प्रचार करने वाले कांग्रेसी एजेंटो को करारा जवाब देकर यह बताए कि यह काशी अपने प्राचीन गौरव को पुनः प्राप्त करके ही रहेगा और यहाँ अब ढोंगी संत के रूप में रहने वाले वेटिकेन सिटी के एजेंटो की दाल नहीं गलेगी।
- पीयूष चतुर्वेदी
- पीयूष चतुर्वेदी