अमेरिका के पर्वतीय क्षेत्र ऑरेगन की एक झील में एक रहस्य सदियों से पड़ा सो रहा था। झील में बहता पानी उस रहस्य को दुनिया की आँखों से बचाए रखता था। एक दिन झील सूख गई और रहस्य अपने विशालकाय रूप के साथ प्रकट हुआ। बात उस श्रीयंत्र की हो रही है, जिसने प्रकट होकर दुनिया को दांतों तले ऊँगली दबाने पर विवश कर दिया था।
1990 तक ओरेगॉन के मिकी बेसिन में स्थित ये झील पूरी तरह सूख चुकी थी। लगभग एक किमी के क्षेत्र में फैला इसका कठोर तल साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा था। इस ‘लेक बेड’ के ऊपर से रोज कई विमान गुजरते थे। एक दिन दोपहर के समय नियमित एयर नेशनल गॉर्ड पायलट बिल मिलर सूखी झील के ऊपर से उड़ान भरते हैं। वे ये देखकर हैरान रह जाते हैं कि झील के कठोर तल पर एक ज्यामितीय आकृति उभर आई है। ये आकृति लगभग एक किमी के क्षेत्र में फैली हुई थी। बिल बिलर की आँखों के सामने पहली बार एक प्राचीन सत्य उद्घाटित होता है। सम्पूर्ण ज्यामितीय ज्ञान से बनाया गया बहुत सुंदर श्रीयंत्र उनकी आँखों के सामने था।
आधा किलोमीटर के ठोस बेडरॉक में बनी हुई ज्यामितीय आकृति उन्हें हैरत में डाल देती है। खबर आग की तरह फैलती है। खोजी पहुँचने लगते हैं। जानकारियां बाहर आने लगती हैं। राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की सरकार तुरंत हरकत में आती है। श्रीयंत्र लेक बेड में ‘चार इंच’ खुदाई करके बनाया गया था। नदी विज्ञान को समझने वाले जानते हैं कि बेडरॉक को नाप तौल के साथ इतनी बारीकी से खोदने वाली मशीन तो आज तक नहीं बन सकी है। हमारी वर्तमान ड्रिल मशीने कोशिश करके भी इतनी सफाई से ऐसा काम नहीं कर सकती।
आधा किमी के पथरीले बेडरॉक को नष्ट करना कोई आसान काम नहीं होता। इसे नष्ट करने के बजाय दूसरा तरीका अपनाया गया। इस क्षेत्र पर मिट्टी और मलबा डाला गया। ये काम सन 2000 आते-आते कर लिया गया था। यहाँ तक कि इसे फेक (नकली) साबित करने के पुरे प्रयास किये गए। हालांकि एक वीडियो ऐसा रहा, जिस पर अमेरिका की निगाह नहीं पड़ी। आज वह वीडियो इस बात का पुख्ता प्रमाण बन गया है कि अमेरिका के पर्वतीय क्षेत्रों में कभी आर्यों की ऐश्वर्यशाली उपस्थिति हुआ करती थी।
ये वीडियो एनबीसी चैनल ने 1990 में बनाया था। ऑरेगन में प्राप्त हुए अद्भुत श्रीयंत्र का एकमात्र वीडियो अब भी अस्तित्व में है। वीडियो में एक विमान को श्रीयंत्र के ऊपर से उड़ान भरते देखा जा सकता है। कुछ शॉट्स में खोजी श्रीयंत्र के भीतर चलते दिखाई दे रहे हैं। सबसे पहले इस जगह पहुंचे रिसर्चर डॉन न्यूमैन और एलेन डेकर वीडियो में श्रीयंत्र की अलौकिकता पर हैरान होते देखे जा सकते हैं।
अमेरिका की छाती पर बना ये विशालकाय श्रीयंत्र कई अमेरिकी वैज्ञानिकों और अविश्वासियों (‘नॉन बिलिवर्स’) को चुभ गया। इसे फेक बताया गया। कुछ ने इसे ‘क्रॉप सर्कल’ बनाने वालों की कारस्तानी बताया। लेकिन वे ये भूल गए कि ऐसी अचूक दोषरहित ज्यामितीय रचना बेडरॉक के कठोर तल पर बनाना असम्भव है। यदि कोई ऐसी मशीन बना ले तब भी सारे कोण परफेक्शन के साथ नहीं बनाए जा सकेंगे।
वीडियो में दोनों खोजी लेक बेड में घूमकर मुआयना करके बता रहे हैं कि श्रीयंत्र की समरूपता (Symmetry) बिलकुल दोषरहित है। इसमें बनी समानांतर रेखाएं और त्रिभुज गणितीय रूप से अचूक हैं। शुद्धता (accuracy) इतनी है कि हर पॉइंट से दूसरे पॉइंट के बीच साढ़े ग्यारह डिग्री का अंतर है। वे बता रहे हैं कि ऐसे काम को आज करने के लिए लाखों डॉलर फंड की आवश्यकता होगी। अति आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होगी, लेकिन इसके बावजूद ये काम आज के आधुनिक उपकरण नहीं कर पाएंगे।
श्रीयंत्र के इस एकमात्र वीडियो को 2015 में अपलोड किया गया था। चूँकि ये एक ब्लॉग में ‘एम्बॉइड’ किया गया था इसलिए ‘न्यूज़ फीड’ में आने से बच गया। ये इतना गुमनाम वीडियो है कि अब तक कुल 19 हज़ार लोग ही देख सके हैं। यही कारण है कि अब भी ये वीडियो यूट्यूब पर सुरक्षित है। भविष्य का कोई भरोसा नहीं है कि ये वीडियो फिर हमे देखने को नहीं मिले। जब आप एक हज़ार फ़ीट की ऊंचाई से इस मनोरम आर्यन सत्य को निहारेंगे तो मन ही मन पुलकित हो उठेंगे। आपकी आँखें जो देखेंगी, मन उस पर भरोसा नहीं करेगा। ब्रम्हाण्ड का लघु रूप एक झील के कठोर सीने पर उकेर दिया गया और वह भी ज्यामितीय दक्षता के साथ।
विडियो साभार: Oregon Sri Yantra – NBC News Story – 1990
इसे कब बनाया गया, ये जानना आज असम्भव है। झील के तल की आयु ज्ञात हो सकती है लेकिन श्रीयंत्र की नहीं। ये काम इतनी सफाई से किया गया कि चार इंच गहराई में किसी और तत्व या सामान का बारीक सा अंश भी प्राप्त नहीं हुआ। सिर्फ होशपूर्वक खुदाई की गई और कुछ नहीं। इस काम की तुलना पेरू में नाज़्का की रहस्य्मयी रेखाओं से की जाएगी, जो विमान से उड़ान भरने पर ही दिखाई देती हैं लेकिन उन रेखाओं को टिकाए रखने के लिए किसी रसायन का इस्तेमाल किया गया था। श्रीयंत्र में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता।
आज से दो साल पहले जब मैंने इस स्थल के सेटेलाइट चित्र प्रकाशित किये थे तो ‘नॉन बिलिवर्स’ ने मजाक बनाया था। वे मजाक बना सकते थे क्योंकि सेटेलाइट इमेजनरी में यंत्र पूरी तरह स्पष्ट न होकर टुकड़ों में दिखाई दे रहा था। आज अविश्वासी लोग ये वीडियो देखें और आश्चर्य से भर जाए। उसके बाद समीकरण बैठाने में जीवन निकल जाएगा कि प्राचीन काल में कौन जीनियस बिना मशीनों के ये असंभव कार्य कर गया था।
साभार- विपुल रेगे
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