एनआरसी क्या है (भाग-०१): इसकी जरूरत क्यों है !

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बँग्लादेसी घुसपैठियों के कारनामे !
भारत के नागरिकों को पहचान की संकट से निकालने के लिए बनाई गई पंजी का नाम है एनआरसी, राष्ट्रीय पंजीकरण में है नागरिको का सटीक विवरण !

एनआरसी क्या है?

एनआरसी (NRC) का विस्तार है “NATIONAL REGISTAR OF CITIZEN” है, हिंदी में इसका अर्थ है “राष्ट्रीय नागरिकता पंजी” अर्थात वह बही-खाता जिसमें देश के सभी नागरिकों का सटीक विवरण उपलब्ध हो। एक-एक नागरिक का, उसके पूर्वजों की परम्परा से, उसके भारतीय होने का प्रमाण जानकर उसका विवरण अंकित कर लेने से नागरिक पंजी पूर्ण होता है। नागरिकों का विवरण एकत्र हो जाने पर यह स्प्ष्ट हो जाता है कि कौन देशी है और कौन-कौन विदेशी है। नागरिक पंजीयन होने से यह स्पष्ट पता चल जाता है कि कौन शरणार्थी है? कौन घुसपैठिया है? कौन टूरिस्ट बीजा पर आकर बिना बीजा एक्सटेंशन अनंत काल से देश में अवैध रूप से रह रहा है? नागरिक और अनागरिक के बीच का भेद स्पष्ट कर लेना किसी भी देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए अति आवश्यक है। नागरिको की पहचान स्पष्ट हो जाने से अनागरिकों के भारत भूमि पर आने और यहाँ रहने के उद्देश्यों और उनकी क्रियाविधि को जानने में सुविधा होती है।  

जो भारत का नागरिक नही है, वो विदेशी है

अनागरिक का अर्थ है विदेशी। जो भारत का नागरिक नहीं है वह निश्चित रूप से विदेशी है। किसी न किसी दूसरे देश का नागरिक है। भारत की भूमि पर आया है, लेकिन भारतीय नहीं है। भारत का नागरिक नहीं है। किसी दूसरे देश से आया हुआ व्यक्ति यहाँ क्यों आया है? किस उद्देश्य से आया है? उसके यहाँ आने के पीछे क्या सोच है? बाहर से आने वाला वह व्यक्ति घुसपैठिया हो सकता है। वह शरणार्थी हो सकता है। वह किसी न किसी देश से किसी निहित उद्देश्य से बीजा से लेकर आया होगा। आप जब बीजा का आवेदन लेकर संबंधित देश के दूतावास में जाते हैं तो आपसे यह पूछा जाता है कि आप उस देश में किस उद्देश्य से जा रहे हैं?
आपके उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करते हुए आपको उसी प्रकार का बीजा दिया जाता है जैसा आपका विदेश जाने का उद्देश्य होता है। अमेरिका में मुख्यतः दो प्रकार का बीजा निर्गत किया जाता है। टेम्पररी बीजा और परमानेंट रेजीडेंसी बीजा, जिसे ग्रीन कार्ड भी कहा जाता है। आप किसी काम से कुछ निर्धारित समय के लिए अमेरिका जाने वाले हैं तो आपको टेम्पररी बीजा मिलता है, जबकि आप वहाँ स्थाई नागरिक बन गए तो आपको ग्रीन कार्ड मिल जाता है। भारत में भी विदेशी नागरिको के आवागमन के लिए कुछ व्यवस्था बनाया गया है। भारत में विजा की निर्धारित श्रेणियाँ हैं- डिप्लोमेट, ऑफिसियल, UN ऑफिसियल, ट्रांजिट, एंट्री, टूरिस्ट, एम्प्लॉयमेंट, प्रोजेक्ट, स्टूडेंट, जर्नलिस्ट, बिजनेस, मिशनरी, माउंटेनियरिंग, कॉन्फ्रेंस/सेमिनार/मीटिंग, रिसर्च, मेडिकल, मेडिकल एटेंडेंट, यूनिवर्सल

भारतीय नागरिकों का हक मार रहे विदेशी

जब भी कोई भारत में आएगा तो उसको अपने देश के भारतीय दूतावास से बीजा लेकर ही आना चाहिए। और नियत समय में अपने देश वापस चले जाना चाहिए। यही अंतरराष्ट्रीय कानून है। किंतु भारत में ऐसा हुआ नहीं। भारत में कोई भी कभी भी आ गया। और जो यहाँ आ गया वह अनिश्चित काल तक यहीं डट गया। अब जाने का नाम ही नहीं ले रहे अवैध रूप से आए हुए विदेशी। देश की जनता के लिए किए जा रहे विकास कार्यों का लाभ विदेशी उठा लेते हैं और जनता उन नागरिक सुविधाओं से वंचित रह जाती है। सरकार बजट बनाती है अपने देश के नागरिकों के हिसाब से। किन्तु बहुत बड़ी सँख्या में यहाँ रह रहे घुसपैठियों के कारण सारा बजटिय व्यवस्था व्यर्थ चला जाता है और विकास कार्य हुआ, यह समझ में नहीं आता है। अर्थात अर्थव्यस्था पर अतिरिक्त भार पड़ते रहने से विकास समुचित रूप से हो नहीं पाता है।  
असम में बंगलादेशियो द्वारा आतंकवादी हमले (वीडियो)


यहाँ जो मन मे आता है, करते है विदेशी

भारत में विदेशियों के प्रवेश, उनका यहाँ रुकना और भारत से उनका बाहर जाना यह “द पासपोर्ट(एंट्री इन टू इंडिया) एक्ट-1920, पासपोर्ट (इंट्री इन टू इंडिया) रूल्स-1950, फॉरेनर्स एक्ट-1946 एवं द रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स रूल्स-1992 के अनुसार नियमित नियंत्रित होता है। विदेशियों के भारत में आने के सम्बंध में नीति, नियम और कानून भारत सरकार का गृह मंत्रालय बनाता है। उपरोक्त कानूनों के होने के बाद भी विदेशियों के भारत में आगमन का नियमन भली प्रकार से नहीं हो पाया। अनगिनत विदेशी भारत में आते रहे, बसते रहे और जो मन में आया सब कुछ करते रहे।  

घुसपैठियों ने बना लिए है पहचान के सारे सरकारी दस्तावेज  

भारत में अनेक जिले ऐसे हैं, जहाँ अवैध रूप से भारत में आये विदेशी लोग ही बहुमत में हैं। उन सभी विदेशियों के पास यहाँ का राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र इत्यादि बन गया है। यहाँ जमीन और मकान दुकान भी खरीद लिया है। कईयों के पास तो अब भारत सरकार द्वारा निर्गत भारतीय पासपोर्ट भी है। सारे सरकारी दस्तावेज बना लेने के बाद  वहाँ की स्थानीय पुलिस, सरकारी अधिकारी एवं साधारण एजेंसियाँ उनको अनागरिक या विदेशी नहीं कह पाती हैं। उनके पास अपने आपको भारतीय सिद्ध करने के लिए सारे सरकारी दस्तावेज हैं। और वे विदेशी होकर भी भारत में नागरिकों को प्राप्त सारी सुविधाओं का जमकर उपभोग कर रहे हैं। अनेक विदेशी तो यहाँ सांसद, विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं। सरकारी नौकरी भी इनके लिए सहज हो गया है। अवैध रूप से आए हुए विदेशियों के कारण सरकार द्वारा प्रदत फंड कम पड़ता जा रहा है। और देश विकास नहीं कर पा रहा है। जनता कष्ट में जीने को अभिशप्त है।

असामाजिक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त है ये विदेशी

भारत में विदेश से आये हुए लोग अनेक प्रकार के अनैतिक, गैर कानूनी, असामाजिक, समाज विरोधी, देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। सामान्य अपराध से लेकर आतंकवादी घटनाओं में भी सम्मिलित पाए जाते हैं ये विदेशी लोग। अनेक स्थानों पर इनके द्वारा दंगे किये जाने के भी प्रमाण उपलब्ध हैं।

भारत मे 7-8 करोड़ बंगलादेशी घुसपैठिये

दूसरे देशों से जितने लोग भी आकर भारत में रह रहे हैं उनमें सबसे बड़ी संख्या बांग्लादेशियों की है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 7-8 करोड़ बांग्लादेशी हैं। यह संख्या दस करोड़ या उससे अधिक भी हो सकता है। बिना पासपोर्ट बीजा के भारत में आकर रह रहे बांग्लादेशी भारत के कई राज्यों में बहुलता में बस गए हैं। कई जिलों में इनका बहुमत हो गया है।  

केरल के 20 विधानसभा क्षेत्रो में बंगलादेशी वोट निर्णायक

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बांग्लादेश से बहुत दूर स्थित केरल के 20 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में बांग्लादेशी मत निर्णायक स्थिति में पहुँच गया है। दिल्ली के भी कई विधानसभा क्षेत्रों में बांग्लादेशी वोट निर्णायक स्थिति में है। बिहार के सीमांचल क्षेत्र के अनेक जिले बांग्लादेशी बहुल हो चुके हैं। झारखंड और उड़ीसा में बांग्लादेशी बहुत बड़ी संख्या में हैं। कल ही झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि पाकुड़ और साहेबगंज जिले में घुसपैठिये बहुमत में आ गए हैं। उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत देश के अनेक राज्य बँग्लादेशियों की बढ़ती जनसंख्या से त्रस्त हैं। राजस्थान और गुजरात में भी इनकी सँख्या बढ़ती जा रही है।  

असम से हिन्दुओ का पलायन

बंगलादेशियों की सबसे अधिक सँख्या यदि किसी राज्य में है तो वो है आसाम। इनकी बढ़ती संख्या से आसाम की पहचान मिटती जा रही है। इनकी असामाजिक, अनैतिक, गैरकानूनी क्रियाकलाप से आसाम के सामान्य नागरिकों का जीवन बहुत कष्टप्रद होता जा रहा है। बंगलादेशियो के द्वारा उत्पन्न समस्याओं से कारण आसाम से हिन्दुओं का व्यापक पलायन हुआ है। असम में बांग्लादेशी घुसपैठ किसी आपदा से कम नहीं है। इस परिस्थिति के सापेक्ष में अनेक वर्षों से यह आवश्यकता अनुभव हो रहा था कि कम से कम असम में एनआरसी अवश्य बने। जिससे अवैध नागरिकों की स्पष्ट पहचान हो सके। और उनको देश से बाहर निकाला जा सके। ईसी उद्देश्य से अभी आसाम की सरकार ने राष्ट्रीय नागरिकता पंजी अर्थात एनआरसी का प्रकाशन कराया है।
भाग- 02 क्रमशः.....।


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