इन्द्रीरा गांधी व जवाहरलाल नेहरू |
अमेरिकन खुफिया एजेंसी “CIA” द्वारा वर्तमान में जारी दस्तावेज में कहा गया है कि “सोवियत संघ कांग्रेस पार्टी व नेताओं सहित, इंदिरा गांधी मंत्रीमंडल के 40 फीसदी मंत्रियों को फंडिंग करती थी। इसके अलावा दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां- CPI & CPM को भी रूस फंडिंग करता था।”
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आप ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ किताब पढेंगे तो पाएंगे कि “सोवियत संघ ने 1942 से भारतीय कम्युनिस्टों को फंडिंग शुरू कर दिया था। CPI को स्थापित करने के लिए आयात-निर्यात का धंधा स्थापित करके दिया गया था। पंडित नेहरू को सब पता था, लेकिन लोकसभा में जब यह मुद्दा उठा तो उन्होंने इस पूरे मामले को दबा दिया था।”
भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के जनकों में से एक फिलिप स्प्रैट ने लिखा है- ‘यह पहली बार है जब एक प्रधानमंत्री को यह पता है कि उनके देश में विदेशी फंडिंग हो रही है, लेकिन उसे समाप्त करने की जगह, वह उसे दबाने में जुटे हुए हैं।’
तत्कालीन IB प्रमुख मुलिक बार-बार नेहरू को सोवियत-चीन फंडिंग को लेकर सचेत करते हैं, और नेहरू उनकी बातों को इग्नोर करते हैं। 1962 में जब चीन ने हमला किया, तब भी मुलिक की बातों को नेहरू ने इग्नोर किया था।
इंदिरा गांधी के कार्यकाल में सोवियत से होने वाली फंडिंग, सीधे मंत्रियों को होने लगी। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा का बकायदा नाम है कि वह इंदिरा गांधी तक सूटकेस में भर कर नोट ले जाते थे, जो KGB के अधिकारियों की ओर से उन्हें दिया जाता था!
पहले KGB और अब CIA के डिक्लासिफाई दस्तावेजों से यह साबित हो गया है कि देश को नेहरू-इंदिरा कार्यकाल में सोवियत संघ चला रहा था! ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ किताब में आपको और भी चौंकाने वाले तथ्य मिलेंगे!
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