प्रोजेक्ट जोशुआ का जन्म
1980 में अमेरिका (US) आधारित ईवैंजेलिकल क्रिसचन (ईसाई मत प्रचारक) संगठन समूह ने भारत में एक सुनियोजित कन्वर्ज़न (मतांतरण ) योजना शुरू की, जिसको शिर्षक दिया गया “AD-2000”! जिनमे अनेको ईसाई संगठन सम्मिलित थे।
प्रमुखत: उनके नाम -
१- International Mission Board,
१- International Mission Board,
२- Southern Baptist convention,
३- Christian Aid, World Vision,
४- Seventh Day Adventist Church and
५- Several Similar Enterprises.
जिनका संचालन प्रसिद्ध ईसाई मत प्रचारक Pat Robertson, Billy Graham इत्यादि करते थे। इन सब ने मिलकर भारत को पूर्ण ईसाई देश बनाने का संकल्प लिया और एक साथ इस काम को अंजाम देने के लिए हाथ मिलाया।
“AD 2000” ज़िक्र सबसे पहले 1989 में मनीला के एक ईवैंजेलिकल सम्मेलन में हुआ। जिस मिशन का नाम था “Lausanne-2”। यहाँ अंतरराष्ट्रीय लेवल के सभी ईवैंजेलिकल ग्रूप को एक साथ काम करने की सहमति बनी और 1990 आते-आते इसका प्रचार प्रसार पूरी तरह से हो गया। इनका प्रमुख उद्देश्य था की सन 2000 आते-आते, प्रत्येक व्यक्ति को चर्च और गास्पल (सुसमाचार ) उपलब्ध कराना तथा प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ लेना!
भारत मे “AD-2000”
जब यह प्रोजेक्ट भारत के लिए लॉंच किया गया तो यह पूर्ण रूप से शोध आधारित था। भारत के सभी व्यक्ति समूह की जनसांख्यिकीय विश्लेषण (Demographic analysis) इकट्ठा की गई। इस काम को अंजाम डॉक्टर के॰एस॰ सिंह के नेतृत्व में एक टीम द्वारा दिया गया। इस प्रोजेक्ट को डॉक्टर के॰एस॰ सिंह ने "People of India" के नाम से किया था। यह किताब 1985 में ऐन्थ्रॉपलॉजिकल ग्रूप ऑफ़ इंडिया ने पब्लिश किया था। जिसमें भारत के लोगों की आर्थिक सामाजिक स्थिति का पूरा ब्योरा था जैसे जाति, वर्ग, पंथ ( caste, creed, class etc) आदि। इस प्रोजेक्ट डाँटा को ईसाईयो ने और ईवैंजेलिकल ग्रूप ने भरपूर इस्तेमाल किया अपने काम को अंजाम देने के लिए!
यह प्रोजेक्ट (AD2000) मुख्यतः उत्तरी भारत आधारित था, जिसका केंद्र था दिल्ली उसके आस पास की स्थिति (आर्थिक) बहुत ख़राब थी। लोगों की और साथ ही ईसाइयों की संख्या बहुत ही कम थी, परंतु बहुत अधिक सफलता न मिलने से निराशा हाथ लगी।
इसको पूरे विश्व से लगभग 186 देशों के 4000 नेता फ़ंडिंग करते थे, जो की ईसाईयत् का प्रचार प्रसार चाहते थे और इन्ही लोगों द्वारा #जोशुआ का जन्म हुआ, जो की रैपिड (त्वरित गति से) कन्वर्ज़न ( मत परिवर्तन ) को अंजाम दे सके।
(अगले भाग-3 में पढ़िए .. जोशुआ प्रोजेक्ट की कार्य प्रणाली क्या है ? किस विधि से गाँव के गली-गली पहुच रहे है, इनको मजबूत करने में किन शक्तियों का हाथ है, कौन जाति सबसे पहले निशाने पर होती है )
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