खटीक जाति: एक महान योद्धा !


khatik ka itihas

एक शूरवीर ब्राहमण जाति ने धर्मांतरण रोकने के लिए शस्‍त्र उठाया, सूअर पाला लेकिन आपने उनके साथ अछूतों की तरह व्‍यवहार किया…. शर्म कीजिए!!

संदीप देव: इतिहास जब पढने बैठता हूं तो काफी तकलीफों से घिर जाता हूं। आखिर किस तरह से अधकचरा इतिहास लिख-लिख कर अंग्रेज व वामपंथी-कांग्रेसी इतिहासकारों ने हमारे गर्व को कुचला है और हमें अपने ही भाईयों से जुदा कर दिया है। खासकर हिंदू समाज को छिन्‍न-भिन्‍न करने का काम जिस तरह से मध्‍यकाल में इस्‍लामी अक्रांताओं ने किया, उसी तरह ब्रिटिश ने हम पर मानसिक गुलामी थोपी और आजादी के बाद वामपंथी-कांग्रेसियों ने उस गुलामी को हर संभव बनाए रखने का प्रयास किया और यह सब केवल मुस्लिम तष्टिकरण के लिए किया गया। जबकि सच्‍चाई यह है कि यहां के मुसलमान कोई विदेशी नहीं हैं, बल्कि हमारे ही रक्‍त, हमारे ही भाई है।
खटिक जाति का इतिहास पढ़ रहा था। आज जिसे दलित और अछूत आप मानते हैं न, उस जाति के कारण हिंदू धर्म का गौरव पताका हमेशा फहराता रहा है। खटिक जाति मूल रूप से वो ब्राहमण जाति है, जिनका काम आदि काल में याज्ञिक पशु बलि देना होता था। आदि काल में यज्ञ में बकरे की बलि दी जाती थी। संस्‍कृत में इनके लिए शब्‍द है, ‘खटिटक’।

मुग़लो के साथ युद्ध

मध्‍यकाल में जब क्रूर इस्‍लामी अक्रांताओं ने हिंदू मंदिरों पर हमला किया तो सबसे पहले खटिक जाति के ब्राहमणों ने ही उनका प्रतिकार किया। राजा व उनकी सेना तो बाद में आती थी। मंदिर परिसर में रहने वाले खटिक ही सर्वप्रथम उनका सामना करते थे। तैमूरलंग को दीपालपुरअजोधन में खटिक योद्धाओं ने ही रोका था और सिकंदर को भारत में प्रवेश से रोकने वाली सेना में भी सबसे अधिक खटिक जाति के ही योद्धा थे। तैमूर खटिकों के प्रतिरोध से इतना भयाक्रांत हुआ कि उसने सोते हुए लाखों खटिक सैनिकों की हत्‍या करवा दी और एक लाख सैनिकों के सिर का ढेर लगवाकर उस पर रमजान की तेरहवीं तारीख पर नमाज अदा की।
मध्‍यकालीन बर्बर दिल्‍ली सल्‍तनत में गुलाम, तुर्क, खिलजी, तुगलक, सैयद, लोदी वंश आदि और बाद में मुगल शासनकाल में जब डरपोक हिंदू जाति मौत या इस्‍लाम चुनने में से इस्‍लाम का चुनाव कर रही थी तो खटिक जाति ने खुद के धर्म और अपनी बहु बेटियों को बचाने के लिए अपने घर के आसपास सूअर बांधना शुरू किया। इस्‍लाम में सूअर को हराम माना गया है और खटिकों ने मुस्लिम शासकों से बचाव के लिए सूअर पालन शुरू कर दिया। उसे उन्‍होंने हिंदू के देवता विष्‍णु के वराह (सूअर) अवतार के रूप में लिया। मुस्लिम जब गो हत्‍या करने लगे तो उसके प्रतिकार स्‍वरूप खटिकों ने सूअर का मांस बेचना शुरू किया और धीरे-धीरे यह स्थिति आई कि वह अपने ही हिंदू समाज में पददलित होते चले गए। कल के शूरवीर ब्राहण आज अछूत और दलित श्रेणी में हैं।
पुस्तक

प्रथम आजादी की लड़ाई में

1857 की लडाई में मेरठ व उसके आसपास अंग्रेजों के पूरे के पूरे परिवार को मौत के घाट उतारने वालों में खटिक समाज सबसे आगे था। इससे गुस्‍साए अंग्रेजों ने 1891 में खटिक जाति को अपराधि जाति घोषित कर दिया। अपराधी एक व्‍यक्ति होता है, पूरा समाज नहीं। लेकिन जब आप मेरठ से लेकर कानपुर तक 1857 के विद्रोह की दासतान पढेंगे तो रोएं खडे हो जाए्ंगे। जैसे को तैसा पर चलते हुए खटिक जाति ने न केवल अंग्रेज अधिकारी, बल्कि उनकी पत्‍नी बच्‍चों को इस निर्दयता से मारा कि अंग्रेज थर्रा उठे। क्रांति को कुचलने के बाद अंग्रेजों ने खटिकों के गांव के गांव को सामूहिक रूप से फांसी दे दिया गया और बाद में उन्‍हें अपराधि जाति घोषित कर समाज के एक कोने में ढकेल दिया।

आजादी से पूर्व इस्लामिक जिहादियो से युद्ध

आजादी से पूर्व जब मोहम्‍मद अली जिन्‍ना ने डायरेक्‍ट एक्‍शन की घोषणा की थी, तो मुसिलमों ने कोलकाता शहर में हिंदुओं का नरसंहार शुरू किया, लेकिन एक दो दिन में ही पासा पलट गया और खटिक जाति ने मुस्लिमों का इतना भयंकर नरसंहार किया कि बंगाल के मुस्लिम लीग के मुख्‍यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि हमसे भूल हो गई। बाद में इसी का बदला मुसलमानों ने वर्तमान बंग्‍लादेश में स्थित नाओखाली में लिया।
आज हम आप खटिकों को अछूत मानते हैं, क्‍योंकि हमें थोड़ी से भी सही इतिहास नहीं बताया गया है, उसे दबा दिया गया है। आप यह जान लीजिए कि “दलित शब्‍द का सबसे पहले प्रयोग अंग्रेजों ने 1931 की जनगणना में ‘डिप्रेस्‍ड क्‍लास’ के रूप में किया था। उसे ही बाबा साहब अंबेडकर ने अछूत के स्‍थान पर दलित शब्‍द में तब्‍दील कर दिया। इससे पूर्व पूरे भारतीय इतिहास व साहित्‍य में ‘दलित’ शब्‍द का उल्‍लेख कहीं नहीं मिलता है।”
हमने और आपने मुस्लिमों के डर से अपना धर्म नहीं छोडने वाले, हिंसा और सूअर पालन के जरिए इस्‍लामी आक्रांताओं का कठोर प्रतिकार करने वाले एक शूरवीर ब्राहमण खटिक जाति को आज दलित वर्ग में रखकर अछूत की तरह व्‍यवहार किया है और आज भी कर रहे हैं। हमें शर्म भी नहीं आती, जिन लोगों ने हिंदू धर्म की रक्षा की, वो लोग ही हमारे समाज से बहिष्‍कृत हैं। आप अपना इतिहास पढिए, नहीं तो आपके पूर्वज आपको माफ नहीं करेंगे और आपकी अगली पीढ़ी सेक्‍यूलर के नाम पर कुत्सित और डरपोक होती चली जाएगी…।.

साभार:
1) हिंदू खटिक जाति: एक धर्माभिमानी समाज की उत्‍पत्ति, उत्‍थान एवं पतन का इतिहास लेखक- डॉ विजय सोनकर शास्‍त्री, प्रभात प्रकाशन
2) आजादी से पूर्व कोलकाता में हुए हिंदू मुस्लिम दंगे में खटिक जाति का जिक्र, पुस्‍तक ‘अप्रतिम नायक: श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी’ में आया है। यह पुस्‍तक भी प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है।
3) विकिपीडिया

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