सुल्ताना ज्यो-ज्यो बड़ी हुई, उसके सोचने समझने की शक्ति आम मोमिना से ज्यादा होती गई। अपने मजहबी किताब के बारे में अब्बू और अम्मीजान से सवाल करती थी, लेकिन जबाब किसी के पास नही था। {alertSuccess}
…एक बार जब सुल्ताना के अब्बूजान ने आसमानी किताब में लिखी कुछ बातों के सच्चाई का सत्यापन उनके मित्र मौलवी ने किया तो सुल्ताना के पिता कई दिनों तक एकदम शांत और सदमे में रहे। फिर उन्होंने भी अपना मजहब छोड़ दिया।
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