लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखा काशी विश्वनाथ मंदिर का यह नक्शा भी जेम्स प्रिंसेप ने बनाया था। इस मानचित्र में काशी विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह मध्य में दर्शाया गया है। इस पर अंग्रेजी में महादेव लिखा हुआ है। इसके आसपास अन्य मंदिर भी हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद इन दिनों चर्चा में है। सर्वे के चलते सड़क से दिखने वाला ज्ञानवापी का हिस्सा हरे स्क्रीन और होर्डिंग्स से ढका हुआ था। सर्वे टीम के पहुंचते ही मस्जिद के बाहर असहज शोर मच गया।
353 साल पहले इस इलाके में आज से भी ज्यादा शोर था। काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के लिए औरंगजेब की सेना ने इस क्षेत्र को घेर लिया था। सैनिकों के हाथों में तलवारें थीं और मंदिर से भागते लोगों की चीखें थीं। तभी एक पुजारी ने हिम्मत दिखाई। उन्होंने स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास लगा दिया था।
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इससे आगे की कहानी हमने नीचे पहली तस्वीर में बताई है। इसके बाद हमने 6 तस्वीरों में ज्ञानवापी से जुड़े तथ्य बताए है, जो इशारा करती हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पहले कोई और दूसरा बनावट था।
पहला फरमान औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को जारी किया था। ज्ञानवापी कुंड
तस्वीर की कहानी: 335 वर्ष पुरानी ज्ञानवापी कुंड की तस्वीर है जो साल 1900 के आस-पास कैमरे में कैद की गई। फिलहाल ये कुंड काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर का हिस्सा बन गया है। लेखक 'केएमए शेरिंग' (K M A Tshering) की किताब 'सेक्रेड सिटी ऑफ द हिंदूज: एन एकाउंट ऑफ बनारस' (The Sacred City of Hindus: An Account of Benares) में जिक्र है कि 18 अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर पर हमले का फरमान जारी किया। हमलावरों को आता देख महंत स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को लेकर इसी ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे।
एक नंदी ने औरंगजेब के सैकड़ों सैनिकों को हरा दिया था नंदी! जिसका मुंह आज भी मस्जिद के उस गड्ढे में स्थित शिवलिंग की आकृति की दिशा में है।
तस्वीर की कहानी: जब औरंगजेब की सेना स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को नुकसान नहीं पहुंचा पाई। फिर उसने मंदिर के बाहर बैठी 5 फीट ऊंची नंदी की मूर्ति पर हमला कर दिया। मूर्ति पर कई हथौड़े चलाए गए, कई वार किए गए लेकिन नंदी अपनी जगह से नहीं हिले। तमाम कोशिशों के बाद सेना हार गई और नंदी को वहीं छोड़ दिया।
यह मूर्ति ज्ञानवापी मस्जिद के किनारे पर है। अब इसे मंदिर के विस्तार में गलियारे का हिस्सा माना जाता है। ये तस्वीर आजादी से पहले की है। इसमें नंदी ज्ञानवापी की तरफ मुंह करके बैठे हुए हैं। जहां हिन्दुओ की मान्यता है कि शिवलिंग मस्जिद के बाजू वाले स्थान पर है। आमतौर पर मंदिरों में नंदी शिवलिंग की तरफ ही मुंह करके बैठते हैं। इसे भी मंदिर के विस्तार में अब कॉरिडोर का हिस्सा माना गया है।
जेम्स प्रिंसेप के स्केच ने दुनिया को ज्ञानवापी की पहली तस्वीर दिखाई ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे का भाग का खंडहर और दीवार की बनावट दिखा रही है कि मन्दिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है।
तस्वीर की कहानी: ध्वस्त हो चुके बनारस के विश्वेश्वर मंदिर में ज्ञानवापी मस्जिद का यह स्केच 1834 में एंग्लो-इंडियन विद्वान जेम्स प्रिंसेप द्वारा बनाया गया था। स्केच में बनारस के विश्वेश्वर मंदिर का वह हिस्सा दिखाया गया था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था। इसमें मस्जिद का बड़ा गुंबद और उसके बाहरी छोर पर टूटे हिस्से में बैठे लोग नजर आ रहे हैं। इस टूटे हुए हिस्से की मूल दीवार अब ज्ञानवापी मस्जिद में खड़ी है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर का पुराना नक्शा आज भी ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखा हुआ है सन 1882 को तैयार किये गए नक्शे के अनुसार भी मस्जिद मंदिर के दीवार पर खड़ी है।
तस्वीर की कहानी: लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखा काशी विश्वनाथ मंदिर का यह नक्शा भी जेम्स प्रिंसेप ने बनाया था। इस मानचित्र में काशी विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह मध्य में दर्शाया गया है। इस पर अंग्रेजी में महादेव लिखा हुआ है। इसके आसपास अन्य मंदिर भी हैं।
बिंदीदार रेखा वर्तमान मस्जिद के कब्जे वाले मंदिर के हिस्से को दर्शाती है। यानी नक्शे में खींची गई बिंदीदार रेखा मौजूदा मस्जिद के कब्जे वाले मंदिर के हिस्से को दिखाती है। यह नक्शा 1832 में तैयार किया गया था।{alertSuccess}
5 फीट की नंदी ब्रिटिश काल में भी सिर ऊंचा करके खड़ी रहती थीं! नंदी और नंदी के बगल में बना मंदिर
तस्वीर की कहानी: काशी विश्वनाथ मंदिर की यह तस्वीर 1890 में ली गई थी। हमें इसके फोटोग्राफर की जानकारी नहीं मिल सकी। तस्वीर में ज्ञानवापी कुंड के सामने स्थापित नंदी की मूर्ति और उसके ठीक बगल में बने मंदिर में बैठे पुजारी को देखा जा सकता है। इसी बीच ब्रिटिश सरकार काशी में अपना उत्तरी मुख्यालय बनवा रही थी।
1880 में ली गई इस तस्वीर में ज्ञानवापी मस्जिद फिर से नजर आ रही है इस फोटो में ज्ञानवापी कुंड, नंदी और मस्जिद दिखाई दे रहा है।
तस्वीर की कहानी: तस्वीर में दिख रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में बने ज्ञानवापी कुंड में बड़ी संख्या में पुजारी रोज की पूजा में शामिल होने के लिए इकट्ठा हुए हैं। तस्वीर के दाहिने हिस्से में विशाल नंदी की मूर्ति को देखा जा सकता है। ज्ञानवापी कुंड से ठीक पीछे ऊपर की ओर देखने पर मस्जिद का थोड़ा सा हिस्सा भी दिखाई देता है। फोटो 1880 की है।
हमे आने इतिहास के बारे में कुछ भी नही पता है। विदेशी आक्रांताओं नर हमे लूट, राज किया।
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