भंडाफोड़: चर्च, ओपस दाई (Opus Dei) और एक विवाह (पार्ट-1)

भंडाफोड़: चर्च, ओपस दाई (Opus Dei) और एक विवाह


इस देश में कुछ ऐसे हैं जो सच्चे सेक्यूलर हैं, जो 10-जनपथ के निवासियों की भक्ति में ये कुछ भी नकार सकते हैं। बहुत से अभी भी अफवाह फैलाते हैं कि “नरेंद्र मोदी चाय-वाय नहीं बेचते थे?” वैसे जहां चाय की दुकान थी, उस इलाके का चप्पा-चप्पा आईबी और अन्य एजेंसियों ने छान मारा कि मोदी के खिलाफ कुछ मिल जाए। चाय वाला प्रकरण गलत होता तो तभी रेल बन जाती अपने युगपुरुष की। नरेंद्र मोदी कौन हैं, क्या हैं, हम सब जानते हैं लेकिन उसे छोड़ें।  

कितने जानते हैं कि “एंटोइनो अलबिना मैनो” कौन हैं?

असल सवाल ये है कि कितने जानते हैं कि “एंटोइनो अलबिना मैनो” कौन हैं? क्या बैकग्राउंड है? और राजीव गांधी से इनका अफेयर कितना मासूम था? तीन साल तक चले अफेयर के बाद एंटोइनो का राजीव गांधी से विवाह हुआ। अब आम आदमी के घर में भी कोई प्रेम विवाह होता है तो भी लड़के वाले लड़की के परिवार की और लड़की वाले लड़के के परिवार की थोड़ी बहुत जानकारी तो इकट्ठा कर लेते हैं। और राजीव गांधी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे थे।
एंटोइनो के बारे में जानकारी भारतीय खुफिया एजंसियों ने जुटाई। ऐसी दो फाइलें हैं। एक विवाह के समय की और दूसरी उनके हत्या के बाद की। दोनों में ही कुछ नाम, चेहरे और खिलाड़ी बार-बार आते हैं। विवाह फिर भी हुआ। फिलहाल शुरुआत करते हैं, पढ़िए ….!
Sonia Gandhi with her alleged ex-boyfriend Franco Luison (1965) Source
प्रथम विश्व युद्ध के बाद से तूरिन राजनीतिक गतिविधियों का अड्डा था। यूरोप में उन दिनों कम्युनिज्म रवानी पर था और बहुत से कैथोलिकों को यह लगता था कि फासिस्ट ही उनसे मुठभेड़ कर सकते हैं।  तूरिन भी इसका अपवाद नहीं था। अपने तट पर कम्युनिस्टों के आगमन की आशंका से घबराया हुया तूरिन का नजदीकी कैथोलिक गांव ओर्बास्सानो फासिस्टों के साथ हो लिया। पाउलो मैनो भी इसमें शामिल थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फासिस्टों का चुन-चुन कर सफाया हुआ। लेकिन पाउलो मैनो के सिर पर चर्च का हाथ था।
वेटिकन ने मामले में सीधे हस्तक्षेप किया और पाउलो से जुड़े सारे दस्तावेज अपने पास मंगा लिए। आगे चलकर यह सत्य भी स्थापित हुआ कि पाउलो के एक रहस्यमय चाचा वेटिकन की अति गोपनीय खुफिया एजेंसी ओपस दाई (Opus Dei) के एजेंट थे। पाउलो मैनो एक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर थे और उनकी जमा पूंजी मामूली थी। बच्चों को पालना मुश्किल हो रहा था उनके लिए, उन्हें विदेश भेजना तो दूर की कौड़ी थी। लेकिन वो रहस्यमय चाचा जिनका नाम वेटिकन की सभी फाइलों से डिलीट किया जा चुका है, फिर सांता क्लॉज बने और 1960 के दशक में कैंब्रिज में एंटोइनो की पढ़ाई का खर्चा उठाया।
Logo of Opus Dei

सोनिया का राजीव से भेंट
कैंब्रिज पहुंचते ही सोनिया भारतीयों और भारतवंशी छात्रों की गतिविधियों में अत्यधिक रुचि दिखाने लगीं (कारण नहीं पता)। राजीव से मुलाकात भी ऐसे ही एक कार्यक्रम में हुई, किसी कैफे में नहीं, जैसा कि बताया जाता है। लेकिन इस दौरान भी वे चर्च और वेटिकन के कुछ तत्वों, खासतौर से जिनका फासिस्ट अतीत था, के संपर्क में लगातार बनी रहीं। एक खुफिया एजेंट ने जब सुश्री एंटोइनो के एक सहपाठी से चर्च और वेटिकन से उनके संबंधों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि “ये तो नाभि-नाल जैसे संबंध थे। दोनों को अलग नहीं किया जा सकता।

1968 में विवाह, और तीन घटनाये

क्या यह प्रेम संबंध पूरी तरह मासूम था या प्रेम उपजाया गया था। इस परिणय के बाद परिवार तीन और निर्णायक घटनाएं घटीं। इन तीनों में गहरे अंतर-संबंध हैं। जैसे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहला कदम, दूसरा कदम, तीसरा कदम जैसे। ये क्या हैं? अगली पोस्टों से स्पष्ट होगा। यह ज्यादा विस्फोटक भी होगा। शायद जुकरबर्ग मेरा एकाउंट भी डिलीट कर दें। देखेंगे। लेकिन जो भी लिखा है वो इतना तथ्यात्मक है कि सबूत मांगने वालों के होश उड़ सकते हैं। इसलिए ना मांगो।
Rajiv and Sonia after marry

एक अनुरोध: मामूली सा आदमी हूं, काम का अत्यधिक बोझ है, इसलिए आपकी टिप्पणियों और प्रशंसा का भी उत्तर नहीं दे पाता। यह सिर्फ समयाभाव है। कदापि इसे अहंकार न समझें। यदि मैं लगातार फेसबुक पर रहूंगा तो फिर कुछ लिख नहीं पाऊंगा।


साभार: आदर्श सिंह के फेसबुक से ..!



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