कांग्रेसी जन यह अफवाह फैलाते हैं कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी को लात मार दिया था और उन्हें त्याग की मूर्ति कहते हैं जबकि सच्चाई यह है कि सोनिया गांधी के त्याग की असली कहानी बंगाल की अभिनेत्री सोनाली दास गुप्ता की चर्चा के बगैर खत्म नहीं होगी!
भारत के सनविधान का वो नियम
असल में भारत के संविधान में विदेशी नागरिकों के भारत की नागरिकता लेने के बाद भारत का राष्ट्र प्रमुख यानी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने के लिए एक क्लॉज है। इस क्लॉज के अनुसार “वह व्यक्ति जिस देश का मूल निवासी है यदि उस देश का संविधान, भारत के नागरिकों को वहां का राष्ट्रपति यानी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनने की इजाजत देता है, तभी उस देश के मूल निवासी को भारत में भी राष्ट्र प्रमुख यानी कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनने की इजाजत होती है”।
उदाहरण के लिए
अमेरिका में जन्मा कोई व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है। क्योंकि अमेरिकी कानून के अनुसार भारत में जन्मा कोई व्यक्ति भी अमेरिका का राष्ट्रपति बन सकता है, खुद बराक ओबामा केन्या में पैदा हुए थे।
क्योंकि सोनिया गांधी इटली की निवासी थी, इटली में पैदा हुई थी, पली बढ़ी और उनका भारत का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय हो गया था। तभी सुब्रमण्यम स्वामी को सोनाली दास गुप्ता के केस का पता चला और वह तुरंत तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के पास गए और संविधान का क्लाज उन्हें बता दिया।
राष्ट्रपति महोदय ने भी भारत के अटार्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से सलाह मांगी, दोनों ने कह दिया कि "सोनिया गांधी भारत की प्रधानमंत्री नहीं बन सकती।" फिर कांग्रेसीयो ने बीच का रास्ता यह अपनाया कि सोनिया गांधी को त्याग की मूर्ति कह कर प्रचारित कर दिया और यह अफवाह फैला दिया कि सोनिया गांधी ने खुद प्रधानमंत्री की कुर्सी को लात मारी है।
अब आइए जाने सोनाली दास गुप्ता का केस क्या था
1955-56 के आसपास की बात है, पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाली सोनाली दास गुप्ता, जिनकी खूबसूरती के चर्चे उस समय सिनेमा में आम हुआ करते थे। ईटली के एक फिल्मकार और पटकथा लेखक रोबेर्टो रॉसेललिनी (Roberto Rossellini), जो उन दिनों भारत में ही थे, के संपर्क में आयीं। जान पहचान बढ़ी, प्रेम हुआ और अंततः रोबेर्टो रॉसेललिनी की चौथी पत्नी के रूप में विवाह कर चली गई। पति और एक बच्चे को छोड़कर !!!!
Sonali Das Gupta with her husband Roberto Rossellini |
बहुत जल्द ही उन्हें इटली की नागरिकता भी मिल गई !!!
1977-78 में इटली में हो रहे मेट्रोपॉलिटन चुनाव में अपने शहर के म्युनिसिपालिटी के किसी वार्ड से सोनाली दास गुप्ता ने पर्चा भरा। Returning Officer ने 20 साल से इटली में रह रही सोनाली दास गुप्ता का नॉमिनेशन यह कह कर खारिज कर दिया कि वह इटली की नागरिक तो हैं, लेकिन उनका मूल भारतीय है। साथ ही उस अधिकारी पर जुर्माना भी लगाया, जिसने बिना जांच के सोनाली दास गुप्ता को पर्चा बेंच दिया था !!
अब यदि कोई आप से कांग्रेसी यह बहस करें कि सोनिया गांधी त्याग की मूर्ति है, उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी को त्याग दिया है तो कृपया उसे यह सच्चाई बताइए।
★★★★★