तीसरा फरमान: शाहजहाँ का राजा जयसिंह को मुमताज का शव दफनाने हेतु भवन देने का फरमान (२८.१२.१६३३) : ताजमहल का सच

Shahajahan ka framan
शाहजहाँ का राजा जयसिंह को तीसरा फरमान

(हिंदी अनुवाद)
हजरत-ए-आला
इस प्रतिष्ठित आज्ञा-पत्र (फरमान) द्वारा ज्ञात हो, जो प्रसन्नता से अंकित है, जिसे प्राप्त हुआ है। सम्मान प्रकाशित होने का तथा प्रतिष्ठा घोषणा की, कि वह हवेलियाँ जिनकी व्याख्या पृष्ठांकन (दिम्न :पृष्ठ के पीछे) में है, अपने साथ की परिसम्पत्तियों सहित, जो प्रतिष्ठित राजकीय सम्पत्ति हैं, को प्रस्तावित किया जाता है। राजा जयसिंह को, एक गर्वित सरदार एवं इस्लाम के शासक के दास, और इन्हें उनको दिया जाता है, उस हवेली के बदले में जो पहले राजा मानसिंह की थी, जिसे उस कुलीन भद्र पुरुष ने स्वयं की सहमति एवं इच्छा से प्रेरित हो महारानी, जो संसार की भद्रतम महिला थी, जो अपने समय की श्रेष्ठ महिलाओं की महिला थी, जिसे आदम एवं हौआ की सुपुत्री होने का सम्मान प्राप्त था, जो अपने समय के सतीत्व के विशाल आकार को रक्षक थी, वह संसार की राबिया, वह शुद्धता संसार की तथा धर्म की, दैवी दया एवं क्षमा की प्राप्त करने हारी, मुमताज महल बेगम के मकबरे के लिये दान कर दिया।

और यह (फरमान) प्रभावी होगा सभी वर्तमान तथा भविष्य के शासकों, अधिकारियों (आमिल), अधीक्षकों (मुतसद्दियान) प्रतिनिधियों तथा निरीक्षकों (मुशरिफ) पर। इस प्रतिष्ठित महान आदेश को पूर्ण रूप से परिपालन कर उनके स्वामित्व में वर्णित हवेलियाँ दे दें। तथा उस उदारता के योग्य को उसके परिपूर्ण स्वामित्व के बारे में सूचित करें। इसके अतिरिक्त वे किसी प्रकार अथवा किसी रूप में कोई भूल या बाधा खड़ी न करें और न ही उन्हें किसी आदेश-पत्र अथवा विधिपत्र की आवश्यकता पड़े और वे न भटकें और न इस आदेश को भूलें ओर न ही इसके सही रूप से परिपालन में असफल हों।

आज की तारीख में लिखा गया, ७वाँ दिन दाय के मास का, इलाही वर्ष ६, तनदुसार २६ जुमादिल आखिर १०४३ हिजरी।
फरमान का पिछेल पृष्ठ

(आदेश पत्र का पीछे का पृष्ठ)
रविवार दाय मास की २८ तारीख, इलाही वर्ष ६, तदनुसार १४ रजब १०४३ हिजरी। (लगभग १५ जनवरी सन्‌ १६३४) यह रिसाला जुमलात उल मुल्क का.... सरकार का तथा राज्य के पोषण का, महानता का विश्वास... और राज्य कार्यों का व्यस्थापक, राज्य का सर्व समर्थ कार्यवाह (जुमलत अल मुल्क) विशिष्ट मामलों के प्रधान आधार (मदार अल महम: प्रधान मंत्री) अल्लामी फाहमी अफजल खान; और वह मन्त्रिपद का आश्रय तथा उत्तम भाग्य एवं ख्याति का आधार मीर जुमला और वह मंत्रि पद का आश्रय मकरामत खान और दीवानी का अधिपति, नौकरी में सबसे छोटा मीर मोहम्मद।

सदा मान्य आदेश-पत्र (फरमान), सूर्य के समान तेजस्वी और आकाश के समान ऊँचा, जारी किया गया।

वह हवेलियाँ, अपनी परिसम्पत्तियों सहित जो प्रतिष्ठित राजकीय सम्पत्तियाँ हैं, बदले में उस हवेली के जो राजा जयसिंह की है, जिसे राज्य के उस स्तम्भ (उमदार अल मुल्क) ने द्युतिमान मकबरे की खातिर अपनी इच्छा एवं आकांक्षा के वशीभूत हो उपहार स्वरूप दान कर दिया (पेश कश नामूदन्द), उस राजा को हमारी ओर से दिया जाता है और उनके पूर्ण स्वामित्व को स्थापित किया जाता है।

प्रमाणीकरण के रूप में यह प्रस्ताव (याददाश्त) लिखित में किया जा रहा है और टिप्पणी (शराह) जुमलात अल मुल्की मदान अल महामी अफजल खान (की हस्तलिपि में) 'इसे समाचार पुस्तक में लिखा जाय।' एक ओर टिप्पणी जुमलात अलमुल्की की हस्तलिपि में 'स्वर्गीय शाहजादा खानम की हवेली जो उक्त राजा को दी गई थी की पुष्टि की जाती है।

मन्त्रिपद के आश्रयदाता तथा उत्तम भाग एवं ख्याति के प्रधान आधार मीर जुमला (की हस्तलिपि में टिप्पणी) 'जैसा विशेष रूप से जुमलात अल मुल्की मदार अल महामी के अनुस्मारक (बारी साला) में कहा गया है, 'इसे घटना (वाकिया) पुस्तक में लिखा जाय।' घटना लेखक (वाकिया नवीस) की हस्तलिपि में हाशिये पर टिप्पणी, 'इसे घटना पुस्तक में दर्ज कर लिया गया।'

एक और टिप्पणी जुमलात अलमुल्की मदार अल महामी अल्लामी फाहमी (की हस्तलिपि), 'इसे पुनः प्रस्तुत किया जाये।'

एक टिप्पणी राज्य दरबार के प्रियपात्र हकमी मुहम्मद सादिक खान (की हस्तलिपि में), 'इसको मंगलवार को पूज्यनीय की सूचना के लिये प्रस्तुत किया जाय।'

एक अन्य टिप्पणी राज्य दरबार के उस प्रिय पात्र शासन गुरगानी के आधार, न्याय नियम के बांधने हारे, उच्चपदस्थ सामन्तों के आदर्श, संसार के शिष्टजनों में उत्तम, जुमलात अल मुल्की मदार अल महामी अल्लामी फाहमी अफजल खान (की हस्तलिपि में), 'एक उच्च-मान प्रतिष्ठायुक्त आज्ञा-पत्र जारी किया जाये।'

परिसम्पत्तियों की सूची
१. राजा भगवान दास की हवेली।
२. राजा माधौसिंह की हवेली
३. रूपसी बैरागी की हवेली मुहल्ला अतगा खान के बाजार में स्थित।
४. चाँद सिंह सुपुत्र सूरज सिंह की हवेली अतगा खान के बाजार में स्थित।

मौलिक सत्य प्रतिलिपि के रूप में प्रमाणित।
मुहम्मद के धार्मिक संहिता का चाकर।
अबुल बरकात।
सत्यापन तथा मुहर

(जयपुर सिटी पैलेस कपाट द्वार का संग्रह- के. डी. क्रमांक १७६/आर. कपाट द्वार संग्रह जयपुर के अभिलेखों की सूची देखें। राष्ट्रीय रजिस्टर निजी अभिलेख क्र. १ भाग १. (भारत के राष्ट्रीय लेखागार दिल्ली १९७१)
(जी. एन. भूरा एवं चन्द्रमणि सिंह, ऐतिहासकि अभिलेखों का सूचीपत्र कपाट द्वार जयपुर।)
(जयपुर-जयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट १९८८ ई.)
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