स्वामी विवेकानंद और निकोला टेस्ला की भेंट: एक अनोखी मुलाकात | What Swami Vivekananda said after meeting Nikola Tesla

Mr Tesla thinks he can demonstrate that mathematically that force and matter are reducible to potential energy,"
   स्वामी विवेकानंद और निकोला टेस्ला की मुलाकात 1893 में शिकागो में विश्व धर्म महासभा (Parliament of the World's Religions) के दौरान हुई थी। इस मुलाकात ने दोनों ही महान व्यक्तियों की सोच और विचारधारा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
   स्वामी विवेकानंद ने अपनी ओजस्वी वक्तृत्व शैली से वहां उपस्थित लोगों को प्रभावित किया। उनके विचारों से प्रेरित होकर, टेस्ला ने भारत के प्राचीन विज्ञान और वेदांत के सिद्धांतों में रुचि दिखाई। टेस्ला ने महसूस किया कि स्वामी विवेकानंद के विचार और विज्ञान में गहरा संबंध है। टेस्ला को स्वामी विवेकानंद के इस कथन ने बहुत प्रभावित किया कि, "सभी ब्रह्मांडीय ऊर्जा एक ही स्रोत से उत्पन्न होती है और हम सभी इस ऊर्जा का ही भाग हैं।"
   इस मुलाकात के बाद, स्वामी विवेकानंद ने टेस्ला को वेदांत और योग के सिद्धांतों से अवगत कराया। टेस्ला ने इन्हें अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों में समाहित करने की कोशिश की और माना कि यह सिद्धांत विज्ञान में नई खोजों का आधार बन सकते हैं। 
   टेस्ला और स्वामी विवेकानंद की यह मुलाकात विज्ञान और आध्यात्मिकता के संगम का एक अद्भुत उदाहरण है। यह दर्शाता है कि जब महान मस्तिष्क मिलते हैं, तो उनकी बातचीत से नई संभावनाएं और समझ उत्पन्न हो सकती हैं, जो मानवता के लिए लाभकारी साबित होती हैं।
    इस प्रकार, स्वामी विवेकानंद और निकोला टेस्ला की यह मुलाकात इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में अंकित हो गई है, जो हमें यह सिखाती है कि विचारों का आदान-प्रदान और विभिन्न दृष्टिकोणों का संगम कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। 
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