ब्रिटेन के राजा की वफादारी की कसम खाना, ग़द्दारी नही बल्कि देशभक्ति कहलाती है!

ब्रिटेन के राजा की वफादारी की कसम खाना, ग़द्दारी नही बल्कि देशभक्ति कहलाती है!

भारत के इतिहास में एक घटना बहुत प्रसिद्ध है, उसे दिल्ली दरबार के नाम से जाना जाता है। यानी ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम के ब्रिटेन की गद्दी के बैठने के बाद जब वह पहली बार 1911 अपनी पत्नी क्वीन मैरी के साथ दिल्ली आए थे, तब दिल्ली में कई दिनों का एक शानदार रंगारंग समारोह आयोजित किया गया था। इस दरबार का आयोजन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिज ने करवाया।

मोतीलाल नेहरू को दिल्ली दरबार के लिए निमंत्रण

    यह समारोह खास इसलिए भी था क्योंकि उसी वक्त भारत की राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली बनाई गई थी। इस दिल्ली दरबार में भारत के सभी रजवाड़े, नवाब, मनसबदार अपनी शाही पोशाक और शाही शान-बान से आए थे। जैसे- रामपुर के नवाब, अवध के नवाब, बरेली के नवाब, बहावलपुर जो अब पाकिस्तान में है वहां के नवाब, लरकाना के नवाब सहित तमाम मुस्लिम नवाबों ने अंग्रेजों के सामने झुक कर वफादारी की कसम खाई थी।

हैदराबाद का निजाम ब्रिटेन के राजा के आगे झुक कर वफादारी की कसम खा रहा है।
हैदराबाद का निजाम ब्रिटेन के राजा के आगे झुक कर वफादारी की कसम खा रहा है। 

   लेकिन इसी दिल्ली-दरबार में एक ऐसा भी व्यक्ति था जो शाही वेशभूषा में आया था, जो किसी भी राज्य क्षेत्र का रजवाड़ा या नवाब नहीं था! उसका नाम था पंडित मोतीलाल नेहरू! वह भी परेड से गुजरा और जॉर्ज पंचम तथा क्वीन मैरी के सामने सर झुका कर सजदा किये और उनके प्रति वफादारी की कसम खाई! 

मोतीलाल नेहरू अंग्रेजी वेशभूषा में गए थे और उन्होंने भी ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादारी की कसम खाई
मोतीलाल नेहरू अंग्रेजी वेशभूषा में गए थे और उन्होंने भी ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादारी की कसम खाई 

    जिहादी और मार्क्सवादी इतिहासकार यह कभी नहीं बताते कि जो व्यक्ति रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली से आगरा, आगरा से इलाहाबाद आया था, वह व्यक्ति कुछ ही दशकों में भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में कैसे हो गया? उस वक्त मोतीलाल नेहरू के पास किसी राजा से भी ज्यादा संपत्ति और दौलत थी। 

    दरअसल यह अंग्रेजो के बहुत ही करीबी थे और सारा न्याय फैसला अंग्रेजों के हाथ में होता था। और उस दौर में मोतीलाल नेहरू के एक दिन की आय 3,000 से 4,000 रुपये होती थी। 

    ईसाई लुटेरों द्वारा लूटकर गरीब बनाये हुए भारत के आम लोगो के पास तो इतना रुपया होता नही था। तो इनके पास प्रतिदिन की आय इतना कैसे आती थी? सीधी बात है कि अंग्रेजों के पक्ष और दलाली करके उस जमाने में करोड़ों रुपए की दौलत कमाई गई थी। 

BHOPAL SULTAN KAIKHUSRAU JAHAN
भोपाल की महिला नवाब KAIKHUSRAU JAHAN

यह तीन फोटो है

  • पहली फोटो में हैदराबाद का निजाम ब्रिटेन के राजा के आगे झुक कर वफादारी की कसम खा रहा है। 
  • दूसरी फोटो में उस जमाने के जाने-माने वकील मोतीलाल नेहरू अंग्रेजी वेशभूषा में गए थे और उन्होंने भी ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादारी की कसम खाई और 
  • तीसरी फोटो में भोपाल की महिला नवाब है, उन्होंने भी ब्रिटिश साम्राज्य की वफादारी की कसम खाई। 

(अरे वो विनोद! क्रांतिकारी चाचा के 200 करोड़ के संपत्ति में से 198 करोड़ की कौन संपत्ति दान की? और 2 करोड़ की कौन संपत्ति बचा ली? जल्दी से रिकॉर्ड खोजो!)

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