आज कसाई एवेंजेलिकल चर्च वाले फैलाते है, कि हिटलर नास्तिक था। जबकि सच यह है कि हिटलर महा कट्टर ईसाई था। जिसके एक नही, हजार प्रमाण है। नीचे नाजी जर्मन आर्मी के बेल्ट का बक्कल है, जिस पर Gott Mit Uns लिखा होता था। जिसका अर्थ होता था God With Us (गॉड हमारे साथ है।)
हिटलर, जर्मनी के समाजवादी नेता हुआ करता था। जिनके पार्टी का नाम Nazi (National Socialist German Workers 'Party, National sozialistische) था। उसे सत्ता और समर्थन भी मजदूर, किसानो, शोषितो के नाम पर मिली थी।
हिटलर को आज “सामूहिक हत्यारा” (Mass Murderer) माना जाता है, जिस पर 6 मिलियन ज्युज (Jews) की हत्या का आरोप है। लेकिन एक सत्य यह भी है कि दुनिया की 99% प्रतिशत मीडिया यहूदी और ईसाई है। इसलिए हिटलर को ही 420 लाख लोगो का वर्ल्ड वार-2 में मारे गए लोगो का जिम्मेदार माना जाता है। मैं यह नही कह रहा हूँ की हिटलर ने लोगो को नही मारा। परन्तु एक परफेक्ट 60 लाख है। यह सन्दिग्ध है, क्योंकि कभी भी इसकी गणना नही हुई है, ज्यादा होलोकास्ट से सम्बधित कई तथ्य जिसका जवाब आज भी दुनिया के पास नही है। ज्यादा इस विषय के पढ़ना हो तो “Don Heddesheimer” की किताब “The First Holocaust Jewish Fund Raising Campaigns with Holocaust Claims During and After World War One” पढ़े ।
जो भी हो यह अलग कथा है
दूसरा कुछ दिन पूर्व मैंने एक पोस्ट देखी, जिसमे गधे, मूर्ख टाइप के भीमटे और मुल्ले कह रहे थे कि “हिटलर की पार्टी का सिम्बल स्वस्तिक था”। इन मुर्खो को इतना नही पता कि हिटलर की पार्टी का निशान एक सफेद गोले में काले ‘क्रास’ के रूप में उपयोग में लाया गया है, जिसका नाम hakenkreuz (hooked-cross) है। जो कि भारत मे प्रचलित स्वास्तिक से बिल्कुल भिन्न है। भारतीय संस्कृति वाला स्वास्तिक लाल रंग का होता है, न कि काला और चारो ओर भीतर एक एक बिंदु भी होता है। स्वास्तिक का अर्थ होता है “मंगल करने वाला”। सिंधु घाटी की सभ्यताओं में भी स्वास्तिक के निशान मिलते हैं। बौद्ध धर्म में स्वास्तिक का आकार गौतम बुद्ध के हृदय स्थल पर दिखाया गया है। मध्य एशिया देशों में स्वास्तिक का निशान मांगलिक एवं सौभाग्य सूचक माना जाता है।
वैसे तो हिन्दू धर्म में ही स्वास्तिक के प्रयोग को सबसे उच्च माना गया है, लेकिन स्वास्तिक ने कहीं मान्यता हासिल की है तो वह है जैन धर्म। हिन्दू धर्म से कहीं ज्यादा महत्व स्वास्तिक का जैन धर्म में है। जैन धर्म में यह सातवा जिन का प्रतीक है, जिसे सब तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के नाम से भी जानते हैं। श्वेताम्बर जैनी स्वास्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक मानते हैं।
लेकिन नाज़ियों से भी बहुत पहले स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया था। अमरीकी सेना ने पहले विश्व युद्ध में इस प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल किया था। ब्रितानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों पर इस चिह्न का इस्तेमाल 1939 तक होता रहा था। खैर हम मुद्दे पर आते है, हिटलर के व्यक्तित्व का निर्माण कैसे हुआ?
"Do you know about Die Botschaft Gottes ??"
आपको बताना चाहता हूँ, कि Die Botschaft Gottes को ही Hitlers Bibile कहा जाता है। जिसमे जीसस को 'आर्य जीसस' के नाम से प्रचलित किया गया था । 1930 ई में जब German Christians (Deutsche Christen) movement चलाई गई थी। उस समय प्रोटेस्टेंट चर्च जो कि नाजी समर्थंक हुआ करते थे, उन्ही ने ही हिटलर को Führer Jesus’ और ‘God’s agent in our day की उपाधि दी थी। और हाँ, जिसको भी हिटलर की पार्टी के सिम्बल पर जरा भी संदेह हो कि मैं झूठ बोल रहा हूँ, तो गूगल सर्च करके सच पता कर सकते हो और एक बार 'The Deutsche Christen flag' को भी सर्च कर लेना जिससे कॉन्सेप्ट ज्यादा क्लियर हो जाएगा। यह एवेंजेलिकल जर्मन चर्च का झण्डा है, जिस विचारधारा से हिटलर निकला था।
19वी सदी के समय में यूरेशिया में 4 सबसे ताकतवर साम्राज्यवादी सत्ताएं हुआ करती थी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और दूसरा ख़िलाफ़ते उस्मानिया। ब्रिटेन के लोग स्वयं फक्र करते थे अपने इतिहास पर, वहां उनके बच्चो को यह शिक्षा दी जाती थी, कि "आखिर कैसे ब्रिटिश कौम का सूरज कभी अस्त नही होता", कैसे उन्होंने दुनिया बड़ी सल्तनतों को झुकाकर दुनिया के एक बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर रखा है।
वही फ्रांस के लोगो का भी इतिहास बहुत समृद्ध रहा, वो भी अपने इतिहास में यही बताते कि कैसे यहां से सभ्यता पूरे यूरोप में गई, कैसे बड़े विचारक, दार्शनिक, कलाकर, विज्ञानविद वहां हुए। साथ ही साथ फ्रांस के भी कई देशों में उपनिवेश थे।
दूसरी ओर जर्मनी के पास पुनर्जागरण के बाद सब कुछ था, औद्योगिक क्रांति हुई, वैज्ञानिक अविष्कार हुए, लेकिन उनके पास एक Rich इतिहास नही था, जिसे वो अपने आने वाले पीढ़ियों को पढ़ा कर स्वयँ को फ्रांस से ऊंचा सिद्ध कर सके।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि यूरोपीय देश फ्रांस और इंग्लैंड जैसे देश सैकड़ो सालो तक आपस मे लड़े है। ख़िलाफ़ते उस्मानिया के भी दुनिया के एक बहुत बड़े हिस्से पर 700 सालो तक कब्जा था।
जर्मनी में एक inferiority complex था, इतिहास को लेकर। पहचान की इस खोज में उन्होंने भारतीय ग्रंथो के विकृत अध्ययन के माध्यम से एक आदर्श के रूप में 'आर्य नस्ल' की धारणा बनाई और उसका सृजन शुरु कर दिया। विषाक्त जर्मन राष्ट्रवाद, यहूदी विरोध और नस्ल सम्बन्धी विज्ञान द्वारा पोषित इस तिकड़म ने अंततः नाजीवाद के उदय और यहूदियों के नरंसहार का रास्ता खोल दिया।
भारत मे आर्य जाति की स्थापना
Max Muller जैसे इंडोलॉजिस्ट्स ने प्राचीन भारत का इतिहासीकरण किया कि उसने औपनिवेशिक आवश्यकताओं के साथ साथ यूरोप में उभर रहे राष्ट्रों की आवश्यकताए भी पूरी हुई। उन्होंने इस अवधारणा को रचा कि आर्यो ने ही समूचे सभ्यता को सभ्य बनाया था। आदर्श के रूप में प्रस्तुत किये गए आर्यो में एक महिमण्डित यूरोपियन वंशावली ढूढ़ निकाली गई। यूरोपीय आर्यो को एक नस्ली रूप में ज्यादा शुद्ध और आध्यात्मिक रूप से श्रेष्ठ ईसायत से अभिमण्डित देखा गया। जबकि उत्तर भारत आर्यो को निम्न स्तरीय भारतवासियों के साथ यूरोपीय आर्यो के संसर्ग के परिणामस्वरूप मिश्रित नस्ल के रूप में जिसका नतीजा बहुदेववाद, मूर्तिपूजा और नस्ली मिलावट।
उसके बाद व्यापक आर्य श्रेणी में से एक श्रेष्ठ आर्य जाति का सृजन किया गया, मुख्य रूप से जर्मनी के राष्ट्रवादी चिन्तको के द्वारा। इन मनगढ़ंत बातो को विश्वनीयता प्रदान करने के लिए नवजात नस्ल सम्बन्धी विज्ञान का आव्हान किया गया। यूरोपीय यहूदी विरोधी अभियान ने यूरोपीय लोगो को यहूदियों से अलग करने के लिए इस आर्य परिकल्पना का उपयोग किया फिर बाद में यूरोप में 'आर्य ईसा मसीह' की अवधारणा लोकप्रिय हो गई।
इस प्रकार आर्य एक जाति बनी और जर्मन राजनीति ने आर्य को महाजाति बना दिया । इस प्रकार पश्चिमी यहूदी विरोध ने आर्य का प्रयोग उसकी यहूदी विरासत से अलग करने के लिये किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप दूसरे वर्ल्ड वार को दुनिया ने झेला।
हिटलर असल मे एक महाकट्टर ईसाई था
आपको बताना चाहता हूँ मित्रो की हिटलर असल मे एक महाकट्टर ईसाई था, जो कि बाइबिल की सोच से ही निकला था। जिसे आज चर्च नकारने की कोशिश करते है, आज भी हिटलर की फोटो तक मौजूद है, हिटलर की पार्टी का सिम्बल hooked cross ही नही, हिटलर और उसकी पार्टी के सदस्य हर समय अपने बैज के रूप में क्रॉस का इस्तेमाल करते थे। वह स्वस्तिक के आकार का नही बल्कि क्रिश्चियन क्रॉस के आकार का है। ऐसे सैकड़ो कोटेशन और हिटलर के रेडियो और जन सामान्य में भाषण भी हिटलर के कट्टर ईसाई होने का साक्षात प्रमाण है।
धन्यवाद !
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