VIDEO: हजरे-अस्वद Hajre Al-Aswad (Black Stone) की पूरी सच्चाई प्रमाण के साथ!


  काबा की बाहरी दीवार के पूर्वी कोने में एक काला पत्थर लगा हुआ है। इस्लाम के आने से पहले हज के दौरान हाजी काबा की सात बार परिक्रमा करते थे। हर चक्कर के बाद वो रूककर काबा की बाहरी दीवार के कोने में लगे इस पत्थर को चूमते थे और 'अल्लाह हु अकबर' (अल्लाह सबसे बड़ा है) बोलते थे। 

   ये परंपरा जैसी इस्लाम के पहले हज में थी, वैसी ही आज है। मगर आजकल भीड़ ज्यादा होने की वजह से हर व्यक्ति का इसको चूम पाना लगभग असंभव होता है। इसलिए हर चक्कर के बाद लोग इस पत्थर की तरफ़ सिर्फ इशारा करके बोलते हैं, 'अल्लाह हु अकबर'। इस्लाम के पहले से भी इस परंपरा को ऐसे ही निभाया जाता था। 

   चारों ओर चांदी के फ्रेम में जड़ा हुआ ये काला पत्थर, जिसे अरबी में अल-हजरु अल-अस्वद कहते हैं, इतिहासकारों के लिए हमेशा से कौतुहल का विषय रहा है। इस्लाम आने के बाद इस पत्थर को लेकर इतनी किवदंतियां गढ़ी गई हैं कि असल सच उनकी भूलभुलैया में कहीं खो कर रहा गया है  

    इस पत्थर को लेकर इंटरनेट पर और तमाम किताबों में इतिहासकारों, लेखकों ने अपने-अपने हिसाब से तर्क दिए हैं। 

   कोई इसे एक 'धूमकेतु' का टुकड़ा बताता है, तो कोई चांद से टूट कर गिरा एक टुकडा। ये सब अनुमान सिर्फ इसीलिए लगाए जाते हैं क्योंकि इसके बारे में सटीक जानकारी किसी को उपलब्ध नहीं है। 

वीडियो में 

ऐक्स मुस्लिम साहिल (Ex- Muslim Sahil)  और एक्स मुस्लिम एडम सीकर (Adam Seeker) अल-अस्वद के बारे में नई जानकारी दे रहे है। 


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