IB को स्थापना के वक्त देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ बाहरी खुफिया जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी भी दी गई थी, लेकिन 1962 और 1965 युद्ध के बाद रॉ (R&AW) की स्थापना की गई थी।
दुनिया भर के देश दुश्मन को दूर रखने के लिए अपने बजट का एक अच्छा खासा हिस्सा देश की सुरक्षा पर निवेश करते हैं। इस राशि से या तो हथियार खरीदे जाते हैं या फिर ऐसे संगठन बनाए जाते हैं जो देश की सुरक्षा में योगदान दें। अमेरिका के पास CIA, रूस की KGB, इजरायल के पास मोसाद ऐसे ही संगठन हैं। भारत में भी IB, R&AW जैसी प्रमुख खुफिया एजेंसियां हैं, जो देश की तरफ बढ़ रहे खतरे को पहले ही भांप लेती हैं। बेशक दोनों एजेंसियों का उद्देश्य एक है, लेकिन इनके काम करने का तरीका बेहद अलग है। आइए समझते हैं कैसे?
क्या है इंटेलीजेंस ब्यूरो
इंटेलीजेंस ब्यूरो यानी IB के ऊपर देश में आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी है। यह एजेंसी गृह मंत्रालय के तहत काम करती है। IB का गठन 1887 में केंद्रीय विशेष शाखा के तौर पर किया गया था। 1920 में इसे 'इंटेलीजेंस ब्यूरो' नाम दिया गया। इसका प्रमुख काम राष्ट्रीय सुरक्षा गतिविधियों पर नजर रखना है। खास बात ये है कि IB की गिनती विश्व की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसियों में होती है।
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के बारे में जानें
रॉ के स्थापना से पहले IB के पास ही देश की आंतरिक और बाहरी खुफिया जानकारी की जिम्मेदारी थी। 1968 में IB को सिर्फ आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बनाया गया और नई रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी R&AW का गठन हुआ। दरअसल 1962 और 1965 के युद्ध के दौरान IB उस तरह की खुफिया सूचनाएं नहीं जुटा पाई थी, जिसकी भारत की जरूरत थी। इसीलिए रॉ की स्थापना की गई थी। रॉ सीधे तौर पर खुफिया जानकारी जुटाकर भारतीय सेना को रिपोर्ट करती है। इसका मुख्य काम खास तौर से चीन, पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखना है।
रॉ और IB में ये है अंतर
RAW देश की एनालिसिस विंग है जो बाहरी खतरों से आगाह करती है। जबकि IB का काम आंतरिक खतरों का इंटेलीजेंस जुटाना है। IB आतंकवाद विरोधी, काउंटर इंटेलीजेंस, सीमावर्ती क्षेत्रों की खुफिया जानकारी जुटाती है, जबकि रॉ (R&AW) पड़ोसी देशों की गुप्त गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्रित करती है। IB जहां गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है, वहीं R&AW सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन रखा गया है।
ऐसे होती है नियुक्ति
आईबी और रॉ में नियुक्ति के अपने पैमाने हैं। खास तौर से आईबी में जो अधिकारी तैनात होते हैं, वे भारतीय पुलिस सेवा, ईडी और सेना से लिए जाते हैं, जबकि रॉ में नियुक्ति के लिए अपना कैडर है। जिसे आरएएस के तौर पर जाना जाता है। हालांकि जब रॉ का गठन हुआ था तो इसमें भी सेना, पुलिस और अन्य संगठनों के टॉप क्लास अधिकारियों को लिया जाता था।
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