चंद्रयान-3 पर कांगी, वामी और लिबरू गैंग खूब "नेहरू-नेहरू" चिल्लाया, इसरो (ISRO) का मालिकाना हक भी नेहरू को दे दिया। साइकिल और बैलगाड़ी पर इसरो कैसे रॉकेट ले जाता था, ये तस्वीरें भी पोस्ट कीं। लेकिन तभी सामने आ गई नेहरू के सिगरेट प्रेम की कहानी! कि कैसे नेहरू की सिगरेट लाने के लिये सरकारी विमान को भेजा जाता था!
दरअसल, नेहरू एक बार भोपाल आये थे, उन्होंने दोपहर का भोजन किया, जिसके बाद वो 555 ब्रांड की सिगरेट पिया करते थे। उन दिनों भोपाल में वो सिगरेट नहीं मिलती थी, इसलिए सरकारी विमान को भोपाल से इंदौर सिर्फ नेहरू की 555 सिगरेट लेने के लिये भेजा गया।
अब जब नेहरू के सिगरेट प्रेम का किस्सा निकल ही गया है तो लगे हाथों एक किस्सा और सुन लो! सिगरेट का ये किस्सा गांधीजी से जुड़ा हुआ है। वैसे तो गांधीजी शराब और सिगरेट हर नशे के खिलाफ थे, और इस पर सभी को उपदेश भी देते थे, लेकिन अपने प्रिय जवाहरलाल को वो तोहफे में सिगरेट देने से भी नहीं हिचकते थे।
दरअसल इसका सबूत मिलता है प्रो. निर्मल कुमार बोस की पुस्तक “माई डेज़ विद गांधी” में! गांधीजी जब नोआखली में थे तब प्रो. बोस उनके पर्सनल सेक्रेटरी की भूमिका निभा रहे थे और इसी दौरान 27 दिसंबर 1946 को गांधीजी से मिलने के लिये नेहरू नोआखली आने वाले थे। प्रो. बोस लिखते हैं–
“फ्रेंड्स सर्विस यूनिट की तरफ से हमें क्रिसमस पर उपहारों का एक पैकेट भेजा गया था। इस पैकेट में सिगरेट, ताश की गड्डी, स्लीपर, टॉवेल और साबुन आदि थे। गांधीजी ने सारे उपहार अपने कार्यकर्ताओं के बीच बांटना शुरू कर दिया। लेकिन सिगरेट एक समस्या थी, इसे किसे दिया जाए? तभी अचानक गांधीजी ने मुझसे कहा ‘इस सिगरेट के पैकेट को जवाहरलाल के लिए रख दो’।"
तो पढ़ा आपने! गांधीजी अपने प्रिय जवाहर को तोहफे में कभी-कभी सिगरेट भी दे देते थे। खैर अब कुछ लोग प्रो. निर्मल कुमार बोस को भी संघी साबित करने की कोशिश करेंगे। उनको मैं बता देना चाहता हूं कि प्रो. बोस की गिनती दुनिया के महानतम Anthropologist में होती थी।
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